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अमेरिका ने क्यों लौटाए भारत के 'किंग ऑफ फ्रूट्स'? आमों की 15 खेप लौटाने से हुआ था 4.2 करोड़ का नुकसान

अमेरिका ने भारतीय आमों की 15 खेप ठुकरा दी, जिससे 4.2 करोड़ का नुकसान हुआ। क्या ये सिर्फ गुणवत्ता का मामला है या व्यापारिक राजनीति की चाल?
09:48 AM May 28, 2025 IST | Rohit Agrawal
अमेरिका ने भारतीय आमों की 15 खेप ठुकरा दी, जिससे 4.2 करोड़ का नुकसान हुआ। क्या ये सिर्फ गुणवत्ता का मामला है या व्यापारिक राजनीति की चाल?

बीते दिनों अमेरिका ने भारतीय आमों की 15 खेप को ठुकराकर एक बार फिर व्यापारिक तनाव को बढ़ा दिया है। 25 मीट्रिक टन आमों को सैन फ्रांसिस्को, लॉस एंजेलिस और अटलांटा में एंट्री से मना कर दिया गया, जिससे भारतीय निर्यातकों को 4.2 करोड़ रुपये का झटका लगा है। यह विवाद तब और गहरा गया जब भारत ने आरोप लगाया कि अमेरिकी इंस्पेक्टरों ने तय प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया। क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य मानकों का मामला है या फिर इसके पीछे कोई बड़ा व्यापारिक राजनीति छिपी है? चलिए विस्तार से जानते हैं सपोर्ट में...

आमों को लौटाने के पीछे क्या है असली वजह?

अमेरिका ने आमों को लौटाने का कारण PPQ203 फॉर्म में खामियां बताई हैं। यह फॉर्म इर्रेडिएशन प्रोसेस के बाद जारी किया जाता है, जिसमें फलों के कीटाणुओं को खत्म किया जाता है। भारत का दावा है कि 8 और 9 मई को यह फॉर्म जारी किया गया था, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने इसे अपर्याप्त माना। क्या यह सचमुच प्रोटोकॉल का उल्लंघन है या फिर अमेरिका अपने बाजार को संरक्षित करने की कोशिश कर रहा है?

न्यूक्लियर मैंगो डील ने खोला था अमेरिकी बाज़ार

भारतीय आमों का अमेरिका के साथ रिश्ता हमेशा से उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 1989 में अमेरिका ने भारतीय आमों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो 18 साल तक जारी रहा। अमेरिका का दावा था कि भारतीय आमों में मक्खी और कीट होते हैं जो उनकी कृषि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि, 2007 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के बाद यह प्रतिबंध हटा लिया गया था। उस समय इसे 'न्यूक्लियर मैंगो डील' कहा गया था। क्या अब फिर से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ रही है?

दुनिया का 40% आम पैदा करने वाला देश निर्यात में क्यों पीछे?

बता दें कि भारत दुनिया में आम का सबसे बड़ा उत्पादक है, जहां 2.4 करोड़ टन से अधिक आम की पैदावार होती है। यह वैश्विक उत्पादन का 40% से अधिक है। फिर भी भारत आम निर्यात में छठे स्थान पर है, जबकि मेक्सिको 36.5% हिस्सेदारी के साथ पहले नंबर पर है।

इसकी असल वजह है भारत की घरेलू खपत। दअरसल देश में इतने आम खाए जाते हैं कि निर्यात के लिए कम ही बचते हैं। संयुक्त अरब अमीरात भारतीय आमों का सबसे बड़ा खरीदार है, जबकि अमेरिका दूसरे स्थान पर है।

क्या भारतीय आमों का स्वाद बदल देगा भारत-अमेरिका व्यापार संबंध?

हालांकि 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 1 करोड़ डॉलर के आम निर्यात किए थे, लेकिन यह नया विवाद द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित कर सकता है। भारत ने पहले ही चिंता जताई है कि अमेरिकी निरीक्षकों ने मानक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। क्या यह मामला सुलझेगा या फिर भारत को अपने आमों के लिए नए बाजार तलाशने होंगे? एक बात तो स्पष्ट है कि भारत के 'राजा' को दुनिया की 'सल्तनत' से कोई नहीं रोक सकता!

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