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140 करोड़ हिंदुस्तानियों की ताकत के आगे न बोली चली, न गोली… और 18 महीने में झुक गए ये 3 मुस्लिम मुल्क!

भारत की 140 करोड़ जनता ने आर्थिक बहिष्कार से मालदीव, तुर्की, अजरबैजान को झुकाया, टूरिज्म इंडस्ट्री को बनाया विदेशी नीति का हथियार।
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भारत की 140 करोड़ जनता ने अपनी आर्थिक ताकत का परिचय देते हुए पिछले 18 महीनों में मालदीव, तुर्की और अजरबैजान सहित तीन मुस्लिम देशों को बिना किसी सैन्य कार्रवाई या राजनयिक बहस के घुटनों पर ला दिया है। यह असाधारण उपलब्धि भारतीयों के सामूहिक निर्णय और आर्थिक बहिष्कार की ताकत को दर्शाती है, जिसने इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं को हिलाकर रख दिया। मालदीव के साथ तो पहले से भारत के राजनयिक टकराव थे। लेकिन तुर्की और अज़रबैजान को लेकर भारत–पाक युद्ध के बाद रोष बढ़ा है। जानिए भारत की जनता कैसे बड़े बड़े देशों के टूरिज्म को जब चाहें तब घुटने पर ला सकती है।

मालदीव को कैसे सिखाया था भारत ने सबक?

पिछले साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लक्षद्वीप की यात्रा को प्रोत्साहित करने के बाद मालदीव के कुछ मंत्रियों ने भारत विरोधी टिप्पणियां कीं। इसके जवाब में भारतीयों ने #BoycottMaldives अभियान चलाया, जिसने मालदीव के पर्यटन उद्योग को गंभीर रूप से प्रभावित किया।

मालदीव, जिसकी अर्थव्यवस्था का एक तिहाई हिस्सा पर्यटन पर निर्भर है और जहां भारतीय सबसे अधिक संख्या में आते थे, को अपनी गलती का एहसास हुआ। पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट के बाद मालदीव को भारत के सामने माफी मांगनी पड़ी।

तुर्की और अजरबैजान बनेंगे दूसरा सबक

हाल ही में, पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन किया। इसके जवाब में भारतीयों ने एक बार फिर अपनी आर्थिक शक्ति का प्रदर्शन किया। प्रमुख ट्रैवल प्लेटफॉर्म जैसे ईजमाईट्रिप और इक्सिगो ने तुर्की और अजरबैजान की यात्राओं को निलंबित कर दिया। कॉक्स एंड किंग्स जैसी प्रमुख ट्रैवल एजेंसियों ने भी भारतीयों को इन देशों की यात्रा से बचने की सलाह दी।

वहीं तुर्की, जहां पिछले साल 3.3 लाख भारतीय पर्यटक गए थे और जिसका पर्यटन राजस्व 61.1 बिलियन डॉलर तक पहुंचा था, को अब भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह, अजरबैजान में भारतीय पर्यटकों की संख्या 2014 के मुकाबले 50 गुना बढ़कर 2.43 लाख हो गई थी, लेकिन अब यह संख्या तेजी से घट रही है।

आर्थिक बहिष्कार कैसे बना बड़ा हथियार?

इस घटनाक्रम ने साबित कर दिया है कि भारतीय न केवल अपनी एकजुटता दिखा सकते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हितों की रक्षा के लिए आर्थिक उपायों का प्रभावी ढंग से उपयोग भी कर सकते हैं। बिना किसी हिंसा या राजनयिक विवाद के, भारतीयों ने इन देशों को यह समझा दिया है कि भारत के साथ दुश्मनी महंगी पड़ सकती है।

भारत का क्या है संदेश?

मालदीव, तुर्की और अजरबैजान के साथ हुए इन घटनाक्रमों ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत की 140 करोड़ जनता की आर्थिक ताकत को कम करके नहीं आंका जा सकता। यदि कोई देश भारत के साथ दुश्मनी करता है, तो भारतीय उसे बिना गोली चलाए, अपने आर्थिक फैसलों से सबक सिखा सकते हैं। यह न केवल भारत की बढ़ती वैश्विक प्रभावशाली ताकत को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि आज का भारत किसी भी प्रकार की चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम है।

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