अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ईरान, म्यांमार…ट्रंप ने 12 मुस्लिम देशों के लोगों की अमेरिका में एंट्री क्यों बैन की?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। उन्होंने अफगानिस्तान, ईरान, म्यांमार और तुर्कमेनिस्तान समेत 12 देशों के नागरिकों के लिए अमेरिका में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। सात अन्य देशों के लोगों के लिए आंशिक पाबंदियां लागू की गई हैं। यह फैसला 20 जनवरी को जारी किए गए ट्रंप के कार्यकारी आदेश का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने अमेरिका के "दुश्मन देशों" की पहचान करने का आदेश दिया था। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सच में सुरक्षा का मुद्दा है या फिर ट्रंप की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा?
अफगानिस्तान से लेकर यमन तक: किन देशों पर लगा बैन और क्यों?
ट्रंप प्रशासन ने जिन 12 देशों के नागरिकों के लिए अमेरिका में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है, उनमें अफगानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन शामिल हैं।
इसके अलावा बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला के नागरिकों के लिए विशेष शर्तें लागू की गई हैं। अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि ये प्रतिबंध सुरक्षा कारणों से लगाए गए हैं, क्योंकि इन देशों में आतंकवादी गतिविधियां अधिक हैं या फिर ये अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहयोग नहीं करते।
क्या ट्रंप फिर से 'मुस्लिम बैन' की राह पर?
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने विदेशियों के लिए अमेरिका के दरवाजे बंद किए हैं। 2017 में भी उन्होंने सात मुस्लिम-बहुल देशों (इराक, सीरिया, ईरान, सूडान, लीबिया, सोमालिया और यमन) के नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था, जिसे "मुस्लिम बैन" का नाम दिया गया था। हालांकि, इस बार प्रतिबंधों की सूची में कुछ गैर-मुस्लिम देश (जैसे हैती और वेनेजुएला) भी शामिल हैं, लेकिन फिर भी इसमें अधिकांश मुस्लिम राष्ट्र ही हैं। ट्रंप का तर्क है कि यह नीति अमेरिका की सुरक्षा के लिए जरूरी है, लेकिन आलोचकों का मानना है कि यह उनकी "विदेशी-विरोधी" छवि को मजबूत करने का एक और प्रयास है।
क्या भविष्य में भारत भी इस लिस्ट में शामिल होगा?
अभी तक भारत इस प्रतिबंध सूची में शामिल नहीं है, लेकिन ट्रंप की इस नीति ने भारतीयों के मन में एक सवाल खड़ा कर दिया है: क्या भविष्य में भारत पर भी ऐसी पाबंदियां लग सकती हैं?
अमेरिका में भारतीय छात्रों, आईटी प्रोफेशनल्स और व्यापारियों की बड़ी आबादी है, और अगर कभी भारत को भी इस तरह की सूची में डाल दिया गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। हालांकि, अभी तक भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत बनी हुई है, लेकिन ट्रंप के अप्रत्याशित फैसलों के मद्देनजर यह सवाल पूछा जाना लाजमी है।
क्या अमेरिका अब 'किले' में तब्दील हो रहा है?
डोनाल्ड ट्रंप का यह नया फैसला एक बार फिर दुनिया को यह संदेश देता है कि अमेरिका अब वह देश नहीं रहा जहां हर कोई स्वतंत्रता और अवसर की तलाश में पहुंच सकता है। ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति ने न सिर्फ वैश्विक यात्रा को प्रभावित किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों, व्यापारियों और पर्यटकों के लिए भी नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। अब देखना यह है कि क्या यह नीति वाकई अमेरिका को सुरक्षित बनाएगी या फिर उसकी वैश्विक छवि को और नुकसान पहुंचाएगी। एक बात तो साफ है कि ट्रंप का यह कदम उनकी कठोर आप्रवासन नीतियों का एक और अध्याय है, जिसका असर दशकों तक दुनिया भर में महसूस किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: