PoK में चीन की एंट्री, भारत पर दबाव बनाने के लिए पाकिस्तान की नई कूटनीतिक चाल
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को लेकर भारत के तीखे तेवरों से घबराए पाकिस्तान ने अब बड़ा कूटनीतिक दांव चला है। पहली बार पाकिस्तान ने खुलेआम कहा है कि कश्मीर विवाद सिर्फ भारत और पाकिस्तान का मसला नहीं, बल्कि इसमें चीन भी एक अहम पक्ष है। इस चौंकाने वाला बयान पाकिस्तान की सेना के मीडिया विंग—इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के डायरेक्टर जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने एक इंटरव्यू में दिया। उन्होंने कहा कि कश्मीर पर चीन भी स्टेकहोल्डर है। सवाल ये उठता है—अब पाकिस्तान को चीन की जरूरत क्यों पड़ी?
भारत का बदला हुआ रुख: अब सिर्फ PoK की बात
हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान पर सीधा और तीखा हमला बोला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि अब बात सिर्फ PoK को वापस लेने की होगी, न कि कोई बातचीत या समझौता। रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री ने भी दो टूक लहजे में कहा कि पाकिस्तान को पीओके खाली करना ही होगा। यह शायद पहली बार है जब भारत ने इस स्तर पर इतना सीधा और आक्रामक रुख अपनाया है। पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बन चुका है।
चीन को घसीटने के पीछे की असली वजहें
तो अब सवाल उठता है कि आखिर पाकिस्तान ने इतने सालों बाद इस विवाद में चीन को घसीटने का फैसला क्यों किया? इसके पीछे दो बड़ी वजहें सामने आ रही हैं:
- चीन बना पाकिस्तान का रणनीतिक कवच : पाकिस्तान जानता है कि चीन उसकी सिर्फ आर्थिक नहीं, सैन्य रीढ़ भी है। बीते पांच सालों में पाकिस्तान ने जिन हथियारों की खरीदारी की है, उनमें से 81% चीनी हैं। एयर डिफेंस सिस्टम से लेकर जासूसी ड्रोन तक—पाकिस्तान की सैन्य तैयारियों में चीन का बड़ा योगदान है। हाल ही में कूटनीतिक मंचों पर भी चीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया है। अब पाकिस्तान यही चाहता है कि कश्मीर मुद्दे में चीन की मौजूदगी से भारत पर दबाव बनाया जा सके।
- पीओके में चीन का भारी निवेश : दूसरा और बड़ा कारण है पीओके में चीन की आर्थिक हिस्सेदारी। चीन ने CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) के तहत PoK में करीब 300 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। सड़क, बिजली और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में चीन की दिलचस्पी गहरी है। अगर भारत वहां कोई ठोस कदम उठाता है, तो सीधा नुकसान चीन को होगा। यही कारण है कि पाकिस्तान अब चीन को एक 'हिस्सेदार' के रूप में पेश कर रहा है—ताकि किसी भी कार्रवाई की कीमत बढ़ाई जा सके।
यह सिर्फ बयान नहीं, एक सोची-समझी रणनीति है
पाकिस्तान का यह नया पैंतरा दर्शाता है कि वो कूटनीतिक मोर्चे पर भारत से मिल रही चुनौती को हल्के में नहीं ले रहा। चीन को कश्मीर विवाद में घसीटकर पाकिस्तान ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह अकेला नहीं है। लेकिन बड़ा सवाल यह है—क्या भारत इस दबाव में आएगा, या फिर PoK को लेकर उसका अगला कदम और भी मजबूत होगा?
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