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भारतीय समंदर में चीन की 'मछलीमार जासूसी'! जलसीमा के पास मंडरा रही नौकाएं, पाकिस्तान के लिए क्या है खुफिया खेल?

पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव के बीच चीन की 224 फिशिंग बोट्स भारतीय जलसीमा के पास, नौसेना ने इन्हें जासूसी हथियार बताया।
12:42 PM May 06, 2025 IST | Rohit Agrawal

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक तनाव के बीच चीन ने एक नया खतरनाक खेल शुरू किया है। भारतीय नौसेना ने हाल ही में अपने नौसैनिक अभ्यास के दौरान चौंकाने वाला खुलासा किया कि भारतीय जलसीमा से महज 120 नॉटिकल मील दूर चीन के 224 मछली पकड़ने वाले जहाजों की भारी तैनाती देखी गई है। सुरक्षा सूत्रों का मानना है कि ये कोई सामान्य मछली पकड़ने वाले जहाज नहीं बल्कि चीन की 'डिस्टेंट वाटर फ्लीट' के जासूसी करते जहाज हैं जो पाकिस्तान को भारतीय नौसेना की गतिविधियों की जानकारी दे रहे हैं।

फिशिंग बोट्स या फॉरवर्ड लिसनिंग पोस्ट?

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये चीनी जहाज सिर्फ मछली पकड़ने तक सीमित नहीं हैं। ये जहाज ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) से लैस हैं और भारतीय नौसेना के जहाजों की गतिविधियों, पेट्रोलिंग पैटर्न और रेडियो संचार को रिकॉर्ड करने में सक्षम हैं। ये जहाज वास्तव में 'फॉरवर्ड लिसनिंग पोस्ट' का काम कर रहे हैं जो एकत्रित की गई जानकारी को चीनी नौसेना और सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंचा रहे हैं। खास बात यह है कि इन जहाजों की सबसे अधिक संख्या पाकिस्तान के कराची बंदरगाह के आसपास देखी गई है जिससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान इन्हें लॉजिस्टिक सहायता प्रदान कर रहा है।

क्या है चीन-पाक की साठगांठ?

इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि चीन और पाकिस्तान के बीच केवल राजनयिक संबंध नहीं बल्कि एक गहरा रणनीतिक गठबंधन है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजना में चीन के भारी निवेश ने इस संबंध को और मजबूत किया है।

चीन ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से हिंद महासागर में अपनी स्थायी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है और इसके लिए वह पाकिस्तान को भारत के खिलाफ जासूसी में मदद कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह फिशिंग फ्लीट वास्तव में एक रणनीतिक हथियार है जो बिना किसी हथियार के ही भारत की सुरक्षा को चुनौती दे रही है।

"भारत कर रहा है सख्त निगरानी"

भारतीय सुरक्षा एजेंसियां चीन की इन गतिविधियों को लेकर पूरी तरह सतर्क हैं। भारतीय नौसेना ने इन जहाजों पर नजर रखने के लिए सैटेलाइट निगरानी, रडार सिस्टम और AIS ट्रैकिंग का सहारा लिया है। हालांकि अभी तक इस मामले में आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं आया है, लेकिन सुरक्षा हलकों में इस पर गंभीर चर्चा जारी है। नौसेना विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की यह रणनीति भारत के लिए लंबे समय में गंभीर खतरा पैदा कर सकती है क्योंकि ये जहाज भारतीय नौसेना की रणनीति और तैनाती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र कर सकते हैं। भारत सरकार को इस मामले में सख्त कूटनीतिक और सैन्य कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि चीन की इस छुपी हुई जासूसी को रोका जा सके।

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