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आंखों पर पट्टी, नींद से वंचित और मानसिक प्रताड़ना...पाकिस्तान में BSF जवान पीके शॉ के साथ क्या हुआ?

BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ 21 दिन तक पाकिस्तान की कैद में रहे, आंखों पर पट्टी, नींद-ब्रश की इजाज़त नहीं। लौटने पर जांच और पूछताछ जारी।
05:07 PM May 15, 2025 IST | Rohit Agrawal
BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ 21 दिन तक पाकिस्तान की कैद में रहे, आंखों पर पट्टी, नींद-ब्रश की इजाज़त नहीं। लौटने पर जांच और पूछताछ जारी।

भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पूर्णम कुमार शॉ के 21 दिनों के पाकिस्तानी कैद के बाद लौटने की कहानी सामने आई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तानी अधिकारियों ने शॉ को शारीरिक रूप से तो नहीं, लेकिन मानसिक रूप से प्रताड़ित करने की पूरी कोशिश की। उन्हें न तो ब्रश करने दिया गया, न ही ठीक से सोने दिया गया, और ज्यादातर समय उनकी आंखों पर पट्टी बंधी रही।

गिरफ्तारी के बाद जवान को कहां ले गई थी पाक फ़ौज?

पीके शॉ को पाकिस्तान में कई अलग-अलग स्थानों पर ले जाया गया, जिनमें एक एयरबेस भी शामिल था, जहां उन्होंने विमानों के उड़ान भरने की आवाजें सुनीं। कुछ समय के लिए उन्हें एक जेल में भी रखा गया।

पाकिस्तानी अधिकारी सादे कपड़ों में आए और उनसे BSF की तैनाती, इंटरनेशनल बॉर्डर (IB) पर मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य संवेदनशील जानकारियों के बारे में पूछताछ की। उनसे उनके फोन नंबर भी मांगे गए, लेकिन शॉ ने कहा कि उन्हें याद नहीं है।

23 अप्रैल को हुई थी गलती से सीमा पार करने की घटना

पीके शॉ 23 अप्रैल को पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर रूटीन ड्यूटी के दौरान गलती से सीमा पार कर पाकिस्तानी इलाके में चले गए थे। यह घटना जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के अगले दिन हुई थी, जिसके बाद पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया। 21 दिनों के बाद, 14 जून को पाकिस्तान ने उन्हें अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत को सौंप दिया।

वापसी के बाद प्रोटोकॉल के तहत हुई जांच

भारत लौटने के बाद पीके शॉ की मेडिकल जांच की गई और प्रोटोकॉल के तहत उनसे पूछताछ भी हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्थिर हैं, लेकिन पाकिस्तान में उनके साथ हुए दुर्व्यवहार का असर उन पर पड़ा है। BSF ने इस मामले में आगे की कार्रवाई की जांच कर रही है।

क्या है पाक की 'मानसिक यातना' वाली रणनीति?

यह घटना एक बार फिर पाकिस्तान की उस रणनीति को उजागर करती है, जिसमें वह भारतीय सैनिकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने की कोशिश करता है। हालांकि, पीके शॉ का साहसिक रूप से लौटना यह दर्शाता है कि भारतीय सुरक्षा बलों के जवान किसी भी हालात का सामना करने के लिए तैयार हैं। अब सवाल यह है कि क्या भारत सरकार इस मामले में पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक स्तर पर कोई कार्रवाई करेगी?

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