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पाक में ब्रह्मोस की तबाही देख...टॉरस मिसाइल मांगने लगे जेलेंस्की, जर्मनी ने कर दिया मना, उधर पुतिन ने क्या खेला कर दिया?

ब्रह्मोस धमाके से ज़ेलेंस्की ने टॉरस मांगी, जर्मनी ने मना किया; रूस की शांति पेशकश से सभी चौंके। क्या बदली मिसाइल डिप्लोमेसी की दिशा?
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जब भारत की ब्रह्मोस मिसाइलों ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को चकनाचूर किया, तो दुनिया की नजरें इस रूस-भारत निर्मित हाइपरसोनिक हथियार पर टिक गईं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर ज़ेलेंस्की ने ब्रह्मोस जैसी ताकत देखकर जर्मनी से टॉरस मिसाइलों की मांग की, लेकिन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने साफ मना कर दिया। इसी बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अचानक शांति वार्ता का ऑफर देकर यूक्रेन और पश्चिम को चौंका दिया है। चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि क्या ब्रह्मोस की सफलता ने वैश्विक मिसाइल डिप्लोमेसी का गेम बदल दिया है?

जर्मनी ने टॉरस मिसाइल देने से क्यों किया मना?

ब्रह्मोस मिसाइल (रूस में पी-800 ओनिक्स) की सटीक मारक क्षमता ने यूक्रेन को डरा दिया है। ज़ेलेंस्की को डर है कि अगर रूस ने ब्रह्मोस जैसी तकनीक यूक्रेन पर इस्तेमाल की, तो उसकी सेना के पास कोई जवाब नहीं होगा। इसीलिए उन्होंने जर्मनी से टॉरस मिसाइल मांगी, जो 500 किमी तक रूसी ठिकानों को ध्वस्त कर सकती है।

लेकिन जर्मनी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह "युद्ध को और नहीं भड़काना चाहता"। हालांकि, जर्मनी ने यूक्रेन को एक बड़ी छूट दी है। अब वह पश्चिमी देशों दी गई लंबी दूरी की मिसाइलों (जैसे अमेरिकी ATACMS और ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो) से रूस की सीमा के अंदर हमला कर सकता है।

क्या 2 जून को इस्तांबुल में होगी युद्धविराम वार्ता?

जब यूक्रेन मिसाइलों के लिए संघर्ष कर रहा था, तभी रूस ने अचानक शांति का पत्ता खेला। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने घोषणा की कि 2 जून को इस्तांबुल में यूक्रेन के साथ शांति वार्ता होगी। रूस ने एक मेमोरेंडम भी तैयार किया है, जिसमें युद्ध की "जड़ों" को खत्म करने का प्रस्ताव है। क्या पुतिन वास्तव में शांति चाहते हैं या यह सिर्फ एक रणनीतिक दांव है? विश्लेषकों का मानना है कि रूस यूक्रेन को विभाजित करने और पश्चिमी हथियारों की आपूर्ति रोकने की कोशिश कर रहा है।

ब्रह्मोस से लेकर टॉरस और अमेरिकी मिसाइलों तक, किसमें कितनी ताकत?

अमेरिकी ATACMS: 300 किमी तक मार करने वाली,साथ ही 200 किलो वॉरहेड तक ले जाने की क्षमता वाली मिसाइल।(यूक्रेन पहले ही इस्तेमाल कर चुका है)।

ब्रिटिश/फ्रांसीसी स्टॉर्म शैडो: 250+ किमी रेंज, बंकर-बस्टर क्षमता।

जर्मन टॉरस : 500+ किमी रेंज, 481 किलो वॉरहेड—अगर जर्मनी देता तो यूक्रेन के लिए गेम-चेंजर हो सकती थी।

ब्रह्मोस: ब्रह्मोस की 290 किमी रेंज और मैक 3 स्पीड के चलते पाकिस्तान में जो तबाही मचाई, उसके आगे ये सभी मिसाइलें फीकी लगती हैं।

क्या यूक्रेन रूस के अंदर तक मिसाइल दागने का बना रहा प्लान?

अब सवाल यह है कि क्या जर्मनी की हरी झंडी मिलने के बाद यूक्रेन रूस की सीमा के अंदर मिसाइल दागेगा? अगर ऐसा हुआ, तो पुतिन क्या जवाब देंगे? क्या ब्रह्मोस जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल होगा? और क्या इस्तांबुल वार्ता सिर्फ एक दिखावा है या वास्तव में युद्धविराम की उम्मीद की जा सकती है? एक बात तय है कि ब्रह्मोस ने न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया को भारत-रूस की मिलिट्री ताकत का एहसास करा दिया है!

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