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‘अगर फैसले नहीं ले सकता तो पद पर क्यों रहूं?’ — बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रमुख मोहम्मद यूनुस का बड़ा बयान

नोबेल पुरस्कार विजेता और शांति के प्रतीक माने जाने वाले प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस आज खुद राजनीतिक संग्राम के बीच फंसे नजर आ रहे हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में जब उन्होंने जनवरी 2024 में कार्यभार संभाला...
09:30 AM May 24, 2025 IST | Sunil Sharma
नोबेल पुरस्कार विजेता और शांति के प्रतीक माने जाने वाले प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस आज खुद राजनीतिक संग्राम के बीच फंसे नजर आ रहे हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में जब उन्होंने जनवरी 2024 में कार्यभार संभाला...

नोबेल पुरस्कार विजेता और शांति के प्रतीक माने जाने वाले प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस आज खुद राजनीतिक संग्राम के बीच फंसे नजर आ रहे हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में जब उन्होंने जनवरी 2024 में कार्यभार संभाला था, तब उम्मीद थी कि वे देश में लोकतंत्र की नई रेखाएं खींचेंगे। लेकिन अब वही यूनुस इस्तीफा देने की बात कर रहे हैं।

“अगर मैं फैसले नहीं ले सकता, तो मेरा इस कुर्सी पर बैठना व्यर्थ है”

बीते दिनों हुई एक अहम बैठक में यूनुस ने साफ शब्दों में कहा, “अगर मैं ठीक से काम नहीं कर सकता, तो इस पद पर बने रहने का क्या फायदा?” यह बयान संकेत करता है कि वे अपने पद से इस्तीफा देने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, राजनीतिक असहमति, सेना का हस्तक्षेप, और चुनाव की तारीख तय करने में हो रही देरी उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर कर रही है।

सेना और यूनुस सरकार के बीच बढ़ती तकरार

बांग्लादेश की सेना अब सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठा रही है। सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने ना सिर्फ दिसंबर 2025 तक चुनाव करवाने की चेतावनी दी, बल्कि म्यांमार सीमा पर यूनुस सरकार की “मानवीय गलियारा योजना” को “ब्लड कॉरिडोर” तक कह दिया। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना का यह रुख बताता है कि वह अब सिर्फ पर्यवेक्षक नहीं, बल्कि सत्ता में प्रभावी साझेदार की भूमिका में आ गई है।

राजनीतिक विपक्ष का दबाव: बीएनपी की खुली चेतावनी

विपक्षी दल बीएनपी (BNP) और अन्य दलों ने यूनुस सरकार पर सीधे प्रहार करते हुए स्पष्ट चुनावी तारीख घोषित करने की मांग की है। बीएनपी नेता खांडाकर मुशर्रफ हुसैन ने यहां तक कह दिया कि अगर सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी, तो वे समर्थन वापस लेने में देर नहीं करेंगे।

छात्र संगठनों का भी मोहभंग

‘नेशनल सिटिजन पार्टी’ के छात्र नेता अनहिद इस्लाम ने BBC बांग्ला को बताया कि यूनुस अपनी भूमिका को लेकर खुद असमंजस में हैं। उन्होंने यह भी कहा, “मुझे एक क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए लाया गया था, लेकिन आज मैं खुद को दरकिनार होता हुआ देख रहा हूं। इस हालात में काम करना नामुमकिन है।”

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना: ह्यूमन राइट्स वॉच का बयान

Human Rights Watch (HRW) ने यूनुस सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार मौलिक स्वतंत्रताओं को कुचल रही है। HRW का यह भी आरोप है कि पूर्व शासक अवामी लीग पर राजनीतिक प्रतिबंध लगाना लोकतांत्रिक आदर्शों के खिलाफ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार तानाशाही शैली की ओर लौटती दिख रही है।

मोहम्मद यूनुस की नैतिक लड़ाई

कभी लोकतंत्र के रक्षक माने जाने वाले यूनुस अब खुद सवालों के घेरे में हैं। जब उन्होंने अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी ली थी, तब उन्होंने चुनाव पारदर्शिता, राजनीतिक संतुलन, और लोकतंत्र की बहाली का वादा किया था। लेकिन आज की स्थिति में न तो चुनाव तय है, न राजनीतिक सहमति और न ही जनता का विश्वास।

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