पाकिस्तान के हाथ से फिसलता बलूचिस्तान: भारत की स्ट्राइक के बाद गूंजे आजादी के नारे
भारत की स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान में अंदरूनी हलचल तेज़ हो गई है, और इस बार सबसे बड़ा विस्फोट बलूचिस्तान से सुनाई दे रहा है। एक ओर भारतीय वायुसेना के हमले पाकिस्तान को बुरी तरह झकझोर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बलूच विद्रोही सेना यानी बीएलए ने पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा कर लिया है और आज़ादी की मांग को लेकर खुला ऐलान कर दिया है। बलूचिस्तान, जो दशकों से उपेक्षा और दमन का शिकार रहा है, अब खुलकर पाकिस्तान की हुकूमत के खिलाफ खड़ा हो गया है। हालात ऐसे हैं कि पाकिस्तान को समझ नहीं आ रहा कि वह भारत के खिलाफ लड़े या अपने ही टूटते प्रांत को बचाने की कोशिश करे।
बलूच अवाम की जुबां पर एक ही नारा – “आजादी”
बलूचिस्तान में गुस्सा सड़कों पर है। यहां के लोग अब खुलकर पाक फौज के खिलाफ नारेबाज़ी कर रहे हैं। न केवल आम नागरिक, बल्कि बुद्धिजीवी, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता भी खुलकर पाकिस्तान के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं। मशहूर लेखक मीर यार बलूच ने तो भारत सरकार से सीधी मदद मांगते हुए नई दिल्ली में बलूचिस्तान का दूतावास खोलने की इजाज़त तक मांगी है। उनका कहना है कि अब वक़्त आ गया है जब बलूचिस्तान को एक आज़ाद मुल्क का दर्जा मिलना चाहिए और पाकिस्तान की सेना को यहां से वापस जाना चाहिए।
पाकिस्तान की दोहरी चुनौती: भारत की ताकत और घर की बगावत
भारत की वायुसेना की कार्रवाई ने पाकिस्तान के डिफेंस सिस्टम को बुरी तरह झकझोर दिया है। ड्रोन गिराए जा रहे हैं, ठिकानों पर हमले हो रहे हैं, और पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मदद के लिए गिड़गिड़ा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान की पूरी ताकत भारत को जवाब देने में लग रही है, लेकिन उसकी अपनी ही जमीन यानी बलूचिस्तान उसके लिए एक नई जंग का मैदान बन चुका है।
चीन के कदमों से भी नाराज हैं बलूच
बलूचिस्तान की जनता को पाकिस्तान सरकार से जितनी नाराज़गी है, उतनी ही चीन की दखलअंदाज़ी से भी। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को बलूच जनता लूट और शोषण की स्कीम मानती है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पाक सरकार चीन को जमीन सौंप रही है और बलूचों को उनके ही संसाधनों से महरूम किया जा रहा है। बीएलए ने साफ कहा है कि जब तक CPEC जैसे प्रोजेक्ट रद्द नहीं होते और बलूच जनता को उसका हक़ नहीं मिलता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय मदद की पुकार
बलूच नेता मीर यार बलूच ने संयुक्त राष्ट्र से शांति सेना भेजने की गुहार लगाई है और पाकिस्तान की ISI व सेना को बलूचिस्तान से हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि पाकिस्तान आतंकवाद को पाल-पोस कर खुद के विनाश की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता देने की अपील भी की है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भारत से उम्मीदें
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है लेकिन हमेशा से उपेक्षित रहा है। इतिहास गवाह है कि बलूचिस्तान शुरू से ही एक स्वतंत्र राज्य के रूप में रहना चाहता था, लेकिन पाक सेना ने उस पर जबरन कब्जा कर लिया। यहां की जनता का आरोप है कि पाक सरकार उनके प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रही है और विरोध करने वालों को दबाया जा रहा है। भारत से बलूचों को हमेशा उम्मीद रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में लाल किले से बलूचिस्तान का जिक्र करते हुए मानवाधिकार उल्लंघनों की बात कही थी। अब 2025 में, बलूच एक बार फिर भारत की ओर देख रहे हैं – मदद, समर्थन और आज़ादी की मंज़ूरी के लिए।
बना अन्तरराष्ट्रीय मुद्दा
बलूचिस्तान अब केवल पाकिस्तान की एक समस्या नहीं रहा, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय मसला बनता जा रहा है। विद्रोह की आग तेज़ हो चुकी है और आज़ादी की मांग अब दबाई नहीं जा सकती। भारत की स्ट्राइक के बाद जो लहर चली है, उसने पाकिस्तान की सत्ता को कई मोर्चों पर घेर लिया है – और इस बार, बलूचिस्तान उसे पूरी तरह चुनौती देने को तैयार है।
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