नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

'जंजीरों में जकड़ कर अंधेरे में रखा', US जेल से रिहा हुए भारतीय स्कॉलर बदर खान सूरी के साथ हुई क्रूरता की दास्तां

जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर बदर खान सूरी की रिहाई के बाद दिया बयान वायरल, अदालत ने अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन बताया।
02:38 PM May 16, 2025 IST | Rohit Agrawal
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर बदर खान सूरी की रिहाई के बाद दिया बयान वायरल, अदालत ने अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन बताया।

जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के भारतीय शोधकर्ता बदर खान सूरी ने अमेरिकी जेल से रिहा होने के बाद जो कहा कि वह सुनकर दुनिया स्तब्ध है। मुझे हाथ-पैरों में जंजीरें डालकर रखा गया यहां तक की मैं अपनी परछाई तक नहीं पहचान पा रहा था। 17 मार्च को उनके घर के बाहर गिरफ्तारी, फिर 60 दिनों तक अमानवीय हालात में रहने की पीड़ा, और अंत में रिहाई। यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन सभी की है जो आज दुनिया में "अलग" विचार रखने की कीमत चुका रहे हैं। सूरी पर हमास का प्रचार करने और यहूदी-विरोधी भावनाएं फैलाने का आरोप लगा, लेकिन क्या यह सच था, या फिर यह उनकी फिलिस्तीनी पत्नी और उनके विचारों का दंड था?

जब घर के बाहर ही छीन ली गई आजादी

17 मार्च की वह सुबह बदर खान सूरी के लिए कभी न भूलने वाली बन गई। वर्जीनिया में उनके घर के बाहर अमेरिकी अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनका वीजा रद्द कर दिया गया और उन्हें एक डिटेंशन सेंटर में डाल दिया गया। सूरी ने बताया, "मुझे पहले दिन से ही जंजीरों में जकड़ दिया गया। मेरी कलाइयों, टखनों और यहां तक कि कमर पर भी बेड़ियां पहनाई गईं।" जेल की स्थितियां इतनी खराब थीं कि उन्होंने कहा, "वहां गंदगी थी, और जब मैंने शिकायत की, तो कोई जवाब नहीं मिला।"

"मेरा बेटा रोते-रोते बीमार पड़ गया": परिवार का दर्द

सूरी के लिए सबसे मुश्किल पल थे अपने परिवार से दूर रहना। उनकी पत्नी मफेज सालेह ने बताया कि उनकी गैरमौजूदगी में बुरी तरह टूट गए। उनका एक बेटा तो हर रोज रोता था। उसे मानसिक सहारे की जरूरत पड़ गई।" सूरी ने कहा कि "मैं जेल में बैठा-बैठा सोचता था कि मेरे बच्चे कैसे होंगे। यह सबसे बड़ी यातना थी।"

क्या सच में सूरी ने किया था कोई अपराध?

अमेरिकी अधिकारियों ने सूरी पर हमास का प्रचार करने और यहूदी-विरोधी भावनाएं फैलाने का आरोप लगाया। लेकिन उनके वकील और समर्थकों का कहना है कि यह केवल उनकी फिलिस्तीनी पत्नी और उनके मानवाधिकार संबंधी विचारों के कारण हुआ। 14 मई को जज पेट्रीसिया जाइल्स ने उन्हें रिहा करते हुए कहा कि उनकी हिरासत ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया। सूरी का मामला अकेला नहीं बल्कि हाल में टफ्ट्स यूनिवर्सिटी की तुर्की छात्रा रुमेसा ओज़टर्क और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के फिलिस्तीनी छात्र मोहसेन महदावी को भी इजरायल-हमास संघर्ष पर राय रखने के आरोप में हिरासत में लिया गया था।

क्या अमेरिका अब "सोचने" की आजादी का दुश्मन बन गया है?

बदर खान सूरी की रिहाई एक सकारात्मक फैसला है, लेकिन यह सवाल छोड़ गई है कि क्या अमेरिका वाकई में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थक है? जिस देश ने दुनिया को "फ्री स्पीच" का पाठ पढ़ाया, वहीं आज विचारधारा के आधार पर लोगों को जेल में डाला जा रहा है। सूरी का केस एक चेतावनी है कि अगर हमने अभी नहीं सुधारा, तो आने वाले समय में सोचने की आजादी भी एक सपना बनकर रह जाएगी। क्या दुनिया फिर से उस दौर में लौट रही है जहां "अलग" सोचने वालों को सजा मिलती है? यह सवाल सिर्फ अमेरिका का नहीं, बल्कि हर उस देश का है जो लोकतंत्र और मानवाधिकारों की दुहाई देता है।

यह भी पढ़ें:

डिजिटल दुनिया का पेट्रोल क्यों कहलाता है सेमीकंडक्टर? इसमें भारत कितना मजबूत, जानिए पूरी ABCD

पाक के न्यूक्लियर ठिकानों से नहीं हो रही रेडिएशन लीकेज? IAEA की रिपोर्ट से साफ हुआ पूरा मामला...

Tags :
Academic freedomBadr Khan SooriCensorshipFirst AmendmentFree SpeechGeorgetown UniversityHamasHuman RightsIndia-US RelationsPalestineUS Jail

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article