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कौन है अंगद सिंह चंडोक? जिसने बैंक को लगाया करोड़ों का चूना, अब अमेरिका से धर पकड़कर भारत ले लाई CBI!

अमेरिकी टेक सपोर्ट स्कैम में लाखों डॉलर की धोखाधड़ी करने वाला अंगद सिंह चंडोक अब सीबीआई की गिरफ्त में है, भारत प्रत्यर्पित किया गया।
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Angad Singh Chandok: अंगद सिंह चंडोक का नाम अब अंतरराष्ट्रीय वित्तीय धोखाधड़ी के इतिहास में दर्ज हो चुका है। एक ऐसा शख्स जिसने अमेरिकी नागरिकों को ऑनलाइन टेक सपोर्ट स्कीम के जाल में फंसाकर लाखों डॉलर की लूट की, शेल कंपनियों के जरिए पैसे को भारत और अन्य देशों में लॉन्डर किया, और फिर अमेरिकी कोर्ट द्वारा 6 साल की सजा सुनाए जाने के बावजूद भागने में कामयाब रहा। लेकिन अब सीबीआई ने उसे अमेरिका से प्रत्यर्पित करवाकर भारत ला ही लिया है। यह कहानी सिर्फ एक धोखेबाज की नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम की उस जटिल दुनिया की है, जहां तकनीक का इस्तेमाल लोगों की जिंदगी बर्बाद करने के लिए किया जाता है।

क्या था अंगद सिंह चंडोक का 'टेक सपोर्ट स्कैम'?

अंगद सिंह चंडोक का स्कैम सीधे अमेरिकी नागरिकों के बैंक खातों को टारगेट करता था। वह(Angad Singh Chandok) और उसके साथी फर्जी टेक सपोर्ट कंपनियां बनाते थे, जो लोगों को कॉल करके उनके कंप्यूटर या फोन में "वायरस" होने का झूठा दावा करते थे।

फिर वे उन्हें ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए मजबूर करते थे। इसके बाद यह पैसा कई शेल कंपनियों के जरिए भारत, यूएई और अन्य देशों में ट्रांसफर कर दिया जाता था। अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के मुताबिक, चंडोक ने सैकड़ों अमेरिकी वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाया, जिनमें से कई ने अपनी जमा पूंजी गंवा दी।

अमेरिकी कोर्ट की सजा के बावजूद कैसे बच निकला था चंडोक?

2022 में अमेरिकी कोर्ट ने चंडोक को 6 साल की जेल की सजा सुनाई थी, लेकिन वह (Angad Singh Chandok) कानूनी प्रक्रिया से बच निकला। उसने भारत वापस आकर छुपने की कोशिश की, लेकिन सीबीआई और अमेरिकी एजेंसियों ने मिलकर उसे ट्रैक किया। प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में लगभग दो साल लग गए, क्योंकि चंडोक ने कानूनी लड़ाई लड़ी। आखिरकार, 24 मई को उसे भारत लाया गया और दिल्ली एयरपोर्ट पर सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। अब उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां सीबीआई उसकी कस्टडी की मांग करेगी।

कैसे पकड़ा गया अंतरराष्ट्रीय साइबर ठग?

सीबीआई के लिए यह केस एक बड़ी चुनौती था, क्योंकि इसमें अमेरिकी एजेंसियों के साथ समन्वय की जरूरत थी। इंटरपोल की रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद चंडोक को डिजिटल फुटप्रिंट्स के आधार पर ट्रैक किया गया। भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि का इस्तेमाल करते हुए उसे हिरासत में लिया गया। यह मामला इसलिए भी खास है, क्योंकि इसमें साइबर क्राइम और मनी लॉन्ड्रिंग दोनों शामिल हैं। सीबीआई अब उन शेल कंपनियों की जांच कर रही है, जिनके जरिए चंडोक ने पैसे लॉन्डर किए थे।

क्या अब भारत में भी होगी सजा?

चंडोक पर भारत में भी कई केस दर्ज हैं, जिनमें धोखाधड़ी, साइबर अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग शामिल हैं। अमेरिका में उसकी सजा पूरी हो चुकी है, लेकिन भारतीय कानून के तहत अब उसे यहां भी सजा हो सकती है। सीबीआई की टीम उससे पूछताछ कर रही है ताकि उसके नेटवर्क का पता लगाया जा सके। इस मामले ने एक बार फिर साइबर सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर सवाल खड़े किए हैं। क्या भारत में ऐसे मामलों से निपटने के लिए कड़े कानून हैं? क्या साइबर ठगों के खिलाफ वैश्विक सहयोग मजबूत होगा? ये वो सवाल हैं जिनके जवाब इस केस के बाद मिल सकते हैं।

क्या अंगद सिंह चंडोक का केस बनेगा साइबर क्राइम के खिलाफ मिसाल?

अंगद सिंह चंडोक का प्रत्यर्पण भारत और अमेरिका की कानूनी एजेंसियों के बीच सहयोग की एक बड़ी मिसाल है। यह केस दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर ठग अब सुरक्षित नहीं हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत की कानूनी व्यवस्था ऐसे अपराधियों को सख्त सजा देने में सक्षम है? क्या आम लोगों को ऐसे स्कैम से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे? अगर इस केस के बाद साइबर क्राइम के खिलाफ सख्त कार्रवाई होती है, तो यह एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत हो सकता है।

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