भारत के बाद अफगानिस्तान भी दिखाएगा सख्ती, पाकिस्तान की प्यास पर लगेगा पानी का ताला!
दक्षिण एशिया में पानी को लेकर सियासी और रणनीतिक जंग तेज हो गई है। भारत के बाद अब अफगानिस्तान भी पाकिस्तान की प्यास पर लगाम कसने की तैयारी में जुट गया है। तालिबान सरकार अपने यहां की नदियों पर बड़े पैमाने पर बांध बनाने की योजना बना रही है, जिससे पाकिस्तान को मिलने वाले पानी के प्रवाह को रोका जा सके।
तालिबान का बड़ा कदम, पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ीं
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने की खबरों के बाद अब अफगानिस्तान ने भी उसी राह पर कदम बढ़ा दिए हैं। सोशल मीडिया पर एक्टिव बलूच कार्यकर्ता मीर याब बलूच ने दावा किया है कि तालिबान पाकिस्तान में जाने वाले पानी पर रोक लगाने की दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है। उन्होंने इसे ‘नापाकिस्तान’ के पतन की शुरुआत बताया है।
कुनार नदी पर बनेंगे बांध, जनरल मुबीन ने किया दौरा
बलूच कार्यकर्ता मीर याब के मुताबिक, तालिबान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी जनरल मुबीन ने पूर्वी अफगानिस्तान के कुनार क्षेत्र का दौरा किया, जहां उन्होंने संभावित बांध निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया। यह वही क्षेत्र है जहां से बहने वाली कुनार नदी सीधे पाकिस्तान में प्रवेश करती है और वहां की खेती के लिए जीवनदायिनी मानी जाती है।
Patriots ,
2025
This is the beginning of the end of NaPakistan.@hyrbyair_marri @narendramodi
After Bharat, now Afghanistan is preparing building dams to cut the flow of its water to NaPakistan.Taliban regime's army Gen. Mubin visited the Kunar area and inspected the dam and… https://t.co/QpXE8PXJLB pic.twitter.com/RK9xbSkFr4
— Mir Yar Baloch (@miryar_baloch) May 19, 2025
"यह पानी हमारा खून है" – तालिबान कमांडर का ऐलान
जनरल मुबीन का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें वे कहते हैं – "यह पानी हमारा खून है। हम अपने खून को अपनी नसों से बहने नहीं देंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान को अपनी ऊर्जा और कृषि आवश्यकताओं के लिए पानी को अपने पास ही रोकना होगा। ये बयान इस ओर इशारा करते हैं कि तालिबान सरकार अब पाकिस्तान के खिलाफ पानी को रणनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने में कोई संकोच नहीं करेगी।
भारत की कार्रवाई के बाद बढ़ा दबाव
इस पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में भारत की वह घोषणा है, जिसमें उसने अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित करने की बात कही थी। यह संधि 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच जल वितरण को लेकर एक संतुलन बनाए हुए थी। लेकिन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच इस तरह का कोई औपचारिक समझौता मौजूद नहीं है, जिससे तालिबान सरकार के पास अधिक स्वतंत्रता है।
पानी की राजनीति से पाकिस्तान में बढ़ेगी बेचैनी
अगर भारत और अफगानिस्तान दोनों ही देश पाकिस्तान की ओर बहने वाले जल प्रवाह को नियंत्रित करते हैं, तो पाकिस्तान की कृषि, बिजली और पेयजल व्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है। पहले ही पानी की कमी और आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान इस नए मोर्चे को झेल पाने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रहा।
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