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क्या आपको भी आती है दिन में बहुत नींद? ये बीमारी हो सकता है कारण, जानिए उपचार

हाइपरसोमनिया एक नींद संबंधी विकार है, जिसमें रात में पर्याप्त या लंबे समय तक सोने के बावजूद दिन में अत्यधिक नींद आती है।
10:44 AM Apr 21, 2025 IST | Preeti Mishra

Hypersomnia: रोजाना कम से कम 6-7 घंटे नींद लेना अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरुरी होता है। नींद ना पूरी होने पर कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं। हम में से कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हे रात को भी अच्छी नींद नहीं आती है और कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हे खूब नींद आती है। कई लोग ऐसे होते हैं जो रात को अच्छी तरह से सोने के बाद भी दिन में जब भी मौका मिलता है सो जाते हैं। ऐसे लोगों को बार-बार नींद आती है। मेडिकल टर्म में इस बीमारी को हाइपरसोमनिया (Hypersomnia) कहते हैं

क्या है हाइपरसोमनिया?

हाइपरसोमनिया (Hypersomnia) एक नींद संबंधी विकार है, जिसमें रात में पर्याप्त या लंबे समय तक सोने के बावजूद दिन में अत्यधिक नींद आती है। हाइपरसोमनिया से पीड़ित व्यक्ति अक्सर दिन में जागते रहने के लिए संघर्ष करते हैं। उन्हें जागने में कठिनाई, कम ऊर्जा और चिड़चिड़ापन का भी अनुभव हो सकता है। यह स्थिति बिना किसी अंतर्निहित कारण के या स्लीप एपनिया, डिप्रेशन या तंत्रिका संबंधी विकारों जैसे अन्य स्वास्थ्य मुद्दों के कारण हो सकती है। हाइपरसोमनिया रोजाना के कामकाज, कार्य क्षमता और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

हाइपरसोमनिया के कारण

हाइपरसोमनिया कई तरह के मेडिकल, मनोवैज्ञानिक और जीवनशैली से जुड़े फैक्टर्स के कारण हो सकता है। इसके सामान्य कारणों में स्लीप एपनिया, नार्कोलेप्सी और रेस्टलेस लेग सिंड्रोम जैसे नींद संबंधी विकार शामिल हैं, जो रात की नींद को बाधित करते हैं और दिन में अत्यधिक नींद आने का कारण बनते हैं। न्यूरोलॉजिकल स्थितियां, सिर की चोटें और ब्रेन ट्यूमर भी हाइपरसोमनिया को ट्रिगर कर सकते हैं। डिप्रेशन और टेंशन जैसे मनोवैज्ञानिक मुद्दे इसके लिए महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। कुछ दवाएं, शराब और नशीली दवाओं का उपयोग नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।

हाइपरसोमनिया के लक्षण

- लंबे समय तक सोने के बाद भी दिन में बहुत ज़्यादा नींद आना
- रात में लंबे समय तक सोना (10 घंटे से ज़्यादा) लेकिन फिर भी तरोताज़ा महसूस न होना
- सुबह उठने में कठिनाई
- दिन में बार-बार झपकी लेना जिससे थकान दूर न हो
- कम ऊर्जा स्तर और लगातार थकान
- चिड़चिड़ापन या मूड में बदलाव
- याददाश्त की समस्या
- लगातार थकान के कारण चिंता या अवसाद
- अनुचित परिस्थितियों में सो जाना, जैसे कि काम पर या खाना खाते समय

हाइपरसोमनिया का उपचार

हाइपरसोमनिया का उपचार इसके कारण पर निर्भर करता है। यदि स्लीप एपनिया या डिप्रेशन जैसी कोई चिकित्सा स्थिति जिम्मेदार है, तो उस स्थिति को ठीक करना पहला कदम होना चाहिए। लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे कि एक नींद का पैटर्न बनाए रखना, शराब और नशीली दवाओं से बचना, नियमित रूप से व्यायाम करना इस बीमारी से उबरने में मदद कर सकता है। डॉक्टर द्वारा मोडाफिनिल या एम्फ़ैटेमिन जैसी दवाएँ निर्धारित की जा सकती हैं। तनाव को कम करना और रात में नींद की क्वालिटी करना महत्वपूर्ण है। समस्या ज्यादा होने पर किसी नींद विशेषज्ञ या न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।

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