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Skincare in Monsoon: आयुर्वेद के सहारे मानसून में रखें अपने स्किन का ख्याल, जानिए कैसे

इन मौसमी त्वचा संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए, आयुर्वेद सुरक्षित, प्रभावी और केमिकल-मुक्त उपचार प्रदान करता है।
12:15 PM Jul 29, 2025 IST | Preeti Mishra
इन मौसमी त्वचा संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए, आयुर्वेद सुरक्षित, प्रभावी और केमिकल-मुक्त उपचार प्रदान करता है।
Skincare in Monsoon

Skincare in Monsoon: मानसून का मौसम चिलचिलाती गर्मी से राहत तो देता है, लेकिन साथ ही कई तरह की त्वचा संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ा देता है। लगातार नमी के कारण त्वचा ऑयली हो जाती है, फंगल संक्रमण और मुंहासे होने लगते हैं। अत्यधिक नमी रोमछिद्रों को बंद कर देती है, त्वचा की सुरक्षा को कमज़ोर कर देती है और बैक्टीरिया व फंगस के लिए आदर्श प्रजनन स्थल (Skincare in Monsoon) बन जाती है।

इन मौसमी त्वचा संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए, आयुर्वेद सुरक्षित, प्रभावी और केमिकल-मुक्त उपचार प्रदान करता है। यहां मानसून के मौसम के लिए विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए कुछ आयुर्वेदिक त्वचा (Skincare in Monsoon) देखभाल सुझाव दिए गए हैं जो आपकी त्वचा को स्वस्थ, साफ़ और चमकदार बनाए रखने में मदद करेंगे।

फंगल इन्फेक्शन के लिए नीम

नीम एक शक्तिशाली जीवाणुरोधी और कवकरोधी जड़ी बूटी है जिसका आयुर्वेद में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसके सक्रिय यौगिक मानसून के दौरान होने वाले फंगल इन्फेक्शन, खासकर त्वचा की सिलवटों में, से लड़ने में मदद करते हैं।

उपयोग विधि:

- मुट्ठी भर नीम के पत्तों को पानी में 10 मिनट तक उबालें। इस पानी से प्रभावित जगह को धोएँ।
- ताज़ी पत्तियों को पीसकर नीम का पेस्ट बनाएँ और इसे फंगल इन्फेक्शन पर दिन में दो बार लगाएँ।
- आप त्वचा की संपूर्ण सुरक्षा के लिए नहाने के पानी में नीम का तेल भी मिला सकते हैं।

मुँहासों और फुंसियों के लिए हल्दी

बारिश के मौसम में नमी रोमछिद्रों को बंद कर देती है, जिससे मुहांसे निकल आते हैं। हल्दी के सूजन-रोधी और जीवाणुरोधी गुण मुँहासों, लालिमा और दाग-धब्बों को कम करने में मदद करते हैं।

उपयोग विधि:

- आधा चम्मच हल्दी पाउडर को शहद में मिलाकर स्पॉट ट्रीटमेंट के रूप में लगाएँ।
- हल्दी को चंदन पाउडर और गुलाब जल के साथ मिलाकर एक फेस पैक तैयार करें। इसे 15 मिनट तक लगाएँ और फिर धो लें।
- शरीर को अंदर से डिटॉक्स करने के लिए रात में हल्दी वाला दूध पिएं।

तैलीय त्वचा के लिए मुल्तानी मिट्टी

मानसून में त्वचा का अत्यधिक तेल बनना आम बात है, जिससे त्वचा चिपचिपी और बेजान दिखने लगती है। मुल्तानी मिट्टी अतिरिक्त सीबम को सोख लेती है और रोमछिद्रों को खोलकर त्वचा को ताज़ा और तेल मुक्त बनाती है।

इस्तेमाल करने का तरीका:

- 2 छोटे चम्मच मुल्तानी मिट्टी को गुलाब जल में मिलाकर फेस मास्क की तरह लगाएँ।
- अधिक लाभ के लिए, बैक्टीरिया के विकास को नियंत्रित करने के लिए इसमें एक चुटकी नीम या तुलसी पाउडर मिलाएँ।
- तेलीयता को नियंत्रित रखने के लिए इस मास्क का इस्तेमाल हफ़्ते में दो बार करें।

त्वचा के डेटोक्सिफिकेशन के लिए तुलसी

तुलसी रक्त को शुद्ध करती है और त्वचा को विषमुक्त करती है, जिससे संक्रमण और दाग-धब्बे कम होते हैं।

इस्तेमाल करने का तरीका:

- तुलसी के पत्तों को कुचलकर उसका रस सीधे प्रभावित जगह पर लगाएँ।
- तुलसी पाउडर को एलोवेरा जेल में मिलाकर एक सुखदायक फेस मास्क की तरह इस्तेमाल करें।
- रोजाना तुलसी की चाय पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और मौसमी संक्रमण से बचाव होता है।

इर्रिटेटेड स्किन के लिए एलोवेरा

एलोवेरा जेल में ठंडक, नमी प्रदान करने और रोगाणुरोधी गुण होते हैं, जो इसे मानसून के दौरान सूजन, खुजली या मुँहासों वाली त्वचा के लिए आदर्श बनाते हैं।

कैसे इस्तेमाल करें:

- साफ़ करने के बाद ताज़ा एलोवेरा जेल सीधे चेहरे और शरीर पर लगाएँ।
- इसके एंटीफंगल प्रभाव को बढ़ाने के लिए इसे टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदों के साथ मिलाएँ।
- त्वचा के संतुलन को बनाए रखने के लिए इसे प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र के रूप में रोज़ाना इस्तेमाल करें।

स्वस्थ त्वचा के लिए आयुर्वेदिक जीवनशैली सुझाव

सूखा और साफ़ रहें: अपनी त्वचा को सूखा रखें, खासकर पसीने वाली जगहों पर। गीले कपड़े तुरंत बदल दें।
हल्के से एक्सफोलिएट करें: मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने के लिए हफ़्ते में दो बार ओट्स, बेसन या चावल के पाउडर से बने हर्बल स्क्रब का इस्तेमाल करें।
संतुलित आहार लें: शरीर में अतिरिक्त नमी को संतुलित करने के लिए करेला और पत्तेदार साग जैसे कड़वे और कसैले खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
भारी क्रीम से बचें: रोमछिद्रों को बंद होने से बचाने के लिए हल्के, पानी-आधारित मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करें।
हाइड्रेटेड रहें: टॉक्सिक मैटेरियल्स को बाहर निकालने के लिए खूब पानी और हर्बल चाय पिएँ।

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