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Parenting Tips: बिना डांट और गुस्सा के 2 से 7 साल के बच्चों को ऐसे सिखाएं डिसिप्लिन में रहना, अपनाएं ये टिप्स

Parenting Tips: बच्चो को डिसिप्लिन सिखाना माता पिता के लिए किसी चुनौ​ती (Parenting Tips) से कम नहीं होता। कई बार छोटे बच्चों को डिसिप्लिन ​सिखाना के लिए माता पिता प्यार के साथ साथ डांट फटकार और सख्त व्यवहार का रास्ता...
05:05 PM Apr 06, 2024 IST | Juhi Jha

Parenting Tips: बच्चो को डिसिप्लिन सिखाना माता पिता के लिए किसी चुनौ​ती (Parenting Tips) से कम नहीं होता। कई बार छोटे बच्चों को डिसिप्लिन ​सिखाना के लिए माता पिता प्यार के साथ साथ डांट फटकार और सख्त व्यवहार का रास्ता अपनाते है। आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे है जिससे आप अपने बच्चे को बिना डांट लगाए भी डिसिप्लिन में रहना सीखा सकते है। तो आइए जानते है कैसे बिना डांट और गुस्सा के 2 से 7 साल के बच्चों को सिखाएं डिसिप्लिन में रहना :-

स्वयं का अनुशासित होना जरूरी

बच्चे बोलने से ज्यादा आपके द्वारा किए गए कार्यो व व्यवहार पर ध्यान देते हे। ऐसे में उन्हें डिसिप्लिन में रखने की सबसे पहली शर्त ही यही है कि आप स्वयं अनुशासित रहे। अगर आप बच्चो के सामने गलत शब्दों का प्रयोग करते है या फिर गलत व्यवहार करते है तो ऐसी परिस्थिति में बच्चों का डिसिप्लिन में रखना व्यर्थ है। कभी भी बच्चे को यह मत बताइए कि उन्हें क्या करना है बल्कि उन्हें यह बात उदाहरण के साथ समझाइए। बच्चे आपके व्यवहार से ही डिसिप्लिन में रहना सीखेंगे।

पहली गलती पर टोके

बच्चों के व्यवहार को अच्छा और बुरा बनाने में माता पिता की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है। कई बार छोटे बच्चे कोई गलती करते है तो माता पिता और घर के सदस्य उसे हंसी मजाक में टाल देते है, बच्चा कुछ गलत बोलता है ​तो उसे सुनकर हंस देते है या खेलते हुए बच्चा बड़ों पर हाथ उठा देता है तो उसे यह कहकर टाल देते है कि कोई बात नहीं बच्चा है सीख जाएगा। लेकिन इस बात का खास ध्यान रखें कि बच्चे को कभी उस बात का समर्थन ना करे जो आप उसकी आदतों में नहीं देखना चाहते। अगर आपको उसकी आदत या फिर बाते गलत लगे तो पहली ही बार में टोक दे। ऐसा करने से बच्चा दूसरी बार गलती करने से बचता है।

रूटीन करें तय

बच्चे को अनुशासन में रखने के लिए आप रोजाना का एक रूटीन सेट करना चाहिए। इससे बच्चे समय पर अपना काम और जिम्मेदारियों को समझने लगेगे। इससे बच्चे को समझ आएगा कि माता पिता कि उससे क्या उम्मीद है और उसे क्या करना है और कैसे अपने काम को समय के साथ पूरा कर सकते है और इससे आपको भी पता चल पाएगा कि बच्चे के उम्र के हिसाब से आपको क्या उम्मीद रखनी चाहिए।

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