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Breathing in Yoga: योग में सांस का होता है बहुत महत्व, योगाचार्य से जानें कैसे करें प्राणायाम

कभी आपने सोचा है कि योग में सांसों का क्या महत्व होता है? श्वास क्रिया, या प्राणायाम, योग का आधार है
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Breathing in Yoga: कभी आपने सोचा है कि योग में सांसों का क्या महत्व होता है? श्वास क्रिया, या प्राणायाम, योग का आधार है, जो मन और शरीर को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योग में, सचेत श्वास लेने से एकाग्रता बढ़ती है, तंत्रिका तंत्र शांत होता है और पूरे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर (Breathing in Yoga) होता है।

उचित श्वास तकनीक ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित करने, तनाव कम करने और आंतरिक संतुलन को बढ़ावा देने में मदद करती है। आसनों के दौरान गहरी और सचेत साँसें (Breathing in Yoga) सही मुद्रा में मदद करती हैं, सहनशक्ति बढ़ाती हैं और थकान को दूर रखती हैं। योग में श्वास लेना केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं है, बल्कि मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक स्थिरता और समग्र कल्याण प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन है।

 Breathing in Yoga: योग में सांस का होता है बहुत महत्व, योगाचार्य से जानें कैसे करें प्राणायाम

योग में सांस का महत्व

योगाचार्य कंदर्प शर्मा बताते हैं कि जीवन का पहला कदम स्वास का लेना और अंतिम कदम स्वास का छोड़ना होता है। पूरा जीवन इन दो कदम, अर्थाद सांस लेने और छोड़ने के बीच है। सांस में ही जीवन का सार है। योग माध्यम में हम सांस के विभिन पहलु को समझने का प्रयास करते हैं। शरीर और मन, अर्थात स्थुल और सुक्ष्म के बीच की कडी सांस है। हमारा शरीर असंख्य अणु-परमाणु से बना है। हर कोश अपने अप में पुर्ण है।

श्री शर्मा के अनुसार, सांस जो हमारे जीवन का आधार है वह भावनात्मक स्तर को प्रभावित करता है। हम सभी का अनुभव है कि जब हम गुस्से में होते हैं तब सांस तेज और भारी हो जाती है। किसी कार्य को जल्दी पूरा करना है। समय कम है। ट्रेन या बस पकड़ना है। हैवी एक्सरसाइज के समय, आपने फील किया होगा कि सांस की गति तेज हो जाती है। अर्थात शरीर पुर्ण रूप से किसी क्रिया या किसी भाव से प्रभावित हो गया है। ऐसे समय में हमारी विचार शक्ति या निर्णय लेने की शक्ति लगभग शून्य हो जाती है। जीवन में अधिकतर गतियां हम इस स्तर पर करते हैं।

कंदर्प शमरा का कहना है कि वहीं जब हम निश्चिंत होते हैं, तनाव रहित होते हैं, प्रेम में होते हैं, मनपसंद गीत-संगीत को सुन रहे होते हैं, तो सांस लंबी, धीमी और गहरी हो जाती है। सांस सिर्फ गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्सइड या ऑक्सीजन का आदान प्रदान नहीं है। योग में सांस को प्राण कहा गया है और इससे साधने की कला को ही प्राणायाम कहते हैं।

Breathing in Yoga: योग में सांस का होता है बहुत महत्व, योगाचार्य से जानें कैसे करें प्राणायाम

योगाचार्य से जानें कैसे करें प्राणायाम?

शरीर, मन, भावनाएं और सभी को लयबद्ध करने का ही माध्यम प्राणायाम है। इसमें हम पेट और फेफड़ों की मांसपेशियों का उपयोग किया जाएगा। अराम से बैठ जाएं, कमर बदन सीधा रखें, और रिलैक्स रहें। दाया हाथ पेट पर और बाया हाथ छाती पर रखें, ताकि सांस की गति को हथेलियों से से महसूस किया जा सके। शुरुआत में 5-10 राउंड करें, आखें बंद रखें, ध्यान सांस पर रखें। इसके बाद आराम से बैठ जाएं या लेट सकते हैं। साधारण सांस लेते रहें और छोड़ते रहें। 5-7 मिनट मनपसंद इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक सुनें। आप पाएंगे मन और शरीर, दोनों रिलैक्स हो गया है। प्रसन्नता बढ़ी है, आप तनाव मुक्त हैं, प्राण शक्ति बढ़ने से हम तरो ताजा महसूस करते हैं। इस प्रयोग को आप दिन में दो बार, सुबह और शाम, कर सकते हैं।

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