Sunday, July 6, 2025
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कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' और सिख संगठनों का ऐतराज! हंगामा क्यों?

कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' को लेकर बड़ा फैसला आया है। कुछ कट लगाने के बाद रिलीज की जा सकती है फिल्म।
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Kangana Ranaut Emergency Movie: कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' रिलीज के लिए तैयार थी। फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ और बवाल मच गया। सिख संगठनों ने आवाज उठाई कि फिल्म में सिख किरदारों के साथ न्याय नहीं किया गया। तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा और सिख किरदारों को डीफेम किया गया है। धीरे-धीरे बवाल बढ़ा और फिल्म की रिलीज टाल दी गई। मामला कोर्ट में गया। कोर्ट ने भी जल्दबाजी न दिखाते हुए सेंसर बोर्ड को तय समय में सर्टिफिकेट जारी करने को कहा। अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने वीरवार को हुई सुनवाई में कहा है कि CBFC रिव्यू कमेटी द्वारा दिए गए सुझावों के मुताबिक कुछ कट लगवाकर सर्टिफिकेट जारी कर सकता है। यानी अब फिल्म की रिलीज का रास्ता साफ होता दिख रहा है। मामले में अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।

सवाल यह है कि सिख संगठनों का ऐतराज क्या है? हालांकि सिखों का बॉलीवुड की फिल्मों में पेश सिख किरदारों को लेकर 36 का आंकड़ा रहा है। वे कभी भी बॉलीवुड में सिख किरदारों की पेशकारी को लेकर खुश नहीं रहे। इसका कारण वे यह मानते हैं कि शौर्यवान होने के बावजूद ज्यादातर बॉलीवुड फिल्मों में सिख किरदारों को उपहास के पात्र के रूप में ही दिखाया जाता है। बावजूद इसके कि बॉलीवुड में बहुसंख्या में पंजाबी हैं और वो पंजाब के कल्चर को जानते-समझते भी हैं।

फिल्म के बारे में

जहां तक कंगना की फिल्म 'इमरजेंसी' की बात है, उस पर सिखों का ऐतराज 'विचारधारक' है। इसमें ऑपरेशन ब्लूस्टार का वो पक्ष जुड़ा है, जिसके फलस्वरूप पंजाब दशकों तक सांप्रदायिकता की आग में झुलसा। मीडिया रिपोर्टों में फिल्म के बारे में जो बताया जा रहा है, उसके अनुसार- फिल्म पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान सन 1975 में लगाई गई 'इमरजेंसी' पर है। मुख्य भूमिका में कंगना रनौत हैं, जो इंदिरा गांधी का किरदार निभा रही हैं। फिल्म में 21 महीने की अवधि का चित्रण है जिसे भारतीय लोकतंत्र में काला दौर माना जाता है।

सरबजीत सिंह खालसा, सांसद

'भिंडरांवाला ने कभी नहीं की 'खालिस्तान' की मांग'

फिल्म के ट्रेलर के हिसाब से यह फिल्म श्रीमती गांधी की हत्या और 1980 के दशक में जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व वाले कथित खालिस्तान आंदोलन को भी छूती है। इस फिल्म की पटकथा कंगना रनौत ने लिखी है। फिल्म का ट्रेलर रिलीज होते ही फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग सिख संगठन करने लगे। अब बड़ा सवाल यह है कि फिल्म अभी आई नहीं है, बवाल अभी इसके ट्रेलर पर है। दरअसल, सिख संगठनों का ऐतराज यह है कि ट्रेलर में जो भिंडरांवाला का किरदार दिखाया गया है, वो सीधे तौर पर 'खालिस्तान' की मांग कर रहा है। कट्टरपंथी और खालिस्तान समर्थक भले ही 'खालिस्तान मूवमेंट' को सिखों की हस्ती के साथ जोड़कर देखें, जबकि तथ्य यह है कि भिंडरांवाला ने कभी भी सीधे तौर पर 'खालिस्तान' की मांग नहीं की। ऐसा कोई दस्तावेज या भाषण नहीं है, जिसमें जरनैल सिंह भिंडरांवाला ने सीधे तौर पर खालिस्तान की मांग की हो।

'सिखों को आतंकवादी दिखाना साजिश'

सिखों की धार्मिक संस्थाओं का प्रबंधन करने वाली संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने फिल्म निर्माताओं को कानूनी नोटिस भेजा है। उनका मानना है कि फिल्म में सिखों और ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है। इसके बाद सिखों की सर्वोच्च संस्था श्री अकाल तख्त ने भी फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की। पंजाब के निर्दलीय सांसद सर्बजीत सिंह खालसा ने भी फिल्म के ट्रेलर में दिखाए गए दृश्यों पर ऐतराज जताया। इस संबंध में उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा। सरबजीत सिंह का मानना है कि इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है जो यह एक गहरी साजिश है।

'सिखों की छवि पर असर...'

मशहूर पत्रकार मार्क टली की पुस्तक 'Amritsar: Mrs Gandhi's Last Battle' भी इस बात की पुष्टि करती है कि भिंडरांवाला ने कभी खालिस्तान नहीं मांगा। सिख विद्वानों का मानना है कि फिल्म के ट्रेलर में दिखाए गए कुछ दृश्यों की वजह से सिखों की छवि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इससे पहले केवल खालिस्तान समर्थक सिखों को ही नफरत से देखा जाता है। अगर यह फिल्म रिलीज होती है तो यह पूरे सिख समाज की नैगेटिव छवि बना सकती है। कुछ भी हो, इस फिल्म पर विवाद से कंगना को पब्लिसिटी जरूर मिल रही है।

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