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Govardhan Puja 2025: इस बार दिवाली के अगले दिन नहीं है गोवर्धन पूजा, जानिए क्यों

दिवाली कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। मान्यता के अनुसार, दिवाली के बाद कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि में गोवर्धन पूजा होती है।
10:16 PM Oct 17, 2025 IST | Preeti Mishra
दिवाली कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। मान्यता के अनुसार, दिवाली के बाद कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि में गोवर्धन पूजा होती है।
Govardhan Puja 2025

Govardhan Puja 2025: कल 18 अक्टूबर, दिन शनिवार से पांच दिवसीय दिवाली उत्सव शुरू हो जाएगा। इसके अगले दिन 19 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी और 20 अक्टूबर में देश भर में रोशनी का पर्व दिवाली मनाई जाएगी। आमतौर दिवाली के अगले ही दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2025) मनाया जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। आइये जानते हैं ऐसा क्यों हो रहा है।

कब है इस वर्ष गोवर्धन पूजा?

दिवाली कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। मान्यता के अनुसार, दिवाली के बाद कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि में गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2025) होती है। आमतौर पर प्रथमा की तिथि अमावस्या के ठीक अगले दिन पड़ती है, इसलिए दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है।

इस बार अमावस्या दो दिन पड़ रही है और कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि दिवाली के अगले दिन ना होकर एक दिन बाद 22 अक्टूबर को है। इसलिए 21 अक्टूबर को कोई त्योहार नहीं मनाया जायेगा और गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र पर विजय और गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा का प्रतीक है। भक्त प्रकृति और भगवान कृष्ण के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए अन्नकूट, एक भव्य भोग तैयार करते हैं। घरों और मंदिरों को खूबसूरती से सजाया जाता है और गाय के गोबर से बने छोटे गोवर्धन पर्वतों की फूलों और मिठाइयों से पूजा की जाती है। यह त्योहार आस्था, विनम्रता और प्रकृति के आशीर्वाद के महत्व का प्रतीक है, जो भक्तों को पर्यावरण का सम्मान करने और उसके साथ सामंजस्य बिठाकर रहने की याद दिलाता है।

कब है भाई दूज?

हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार भाई दूज का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भैय्या दूज के पावन पर्व पर, बहनें अपने भाइयों को टीका करके, उनके दीर्घ एवं प्रसन्नतापूर्ण जीवन की प्रार्थना करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार प्रदान करते हैं। भैय्या दूज को भाऊ बीज, भाई दूज, भात्र द्वितीया, भाई द्वितीया एवं भतरु द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष भाई दूज बृहस्पतिवार, अक्टूबर 23 को मनाया जाएगा। भाई दूज के दिन पूजा का समय दोपहर 12:58 से दोपहर 03:14 बजे तक है।

क्या होता है भाई दूज के दिन?

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों का तिलक कर उनके दीर्घायु, सुख-समृद्धि एवं मङ्गल की कामना करती हैं। इस दिन बहनें प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं तथा अपने भाई को आमन्त्रित कर थाली सजाती हैं। भाई का तिलक करके कलावा बाँधती हैं तथा आरती उतारती हैं। तदुपरान्त बहन भाई को मिष्टान्न एवं भोजन ग्रहण कराती है। भाई अपनी सामर्थ्यानुसार बहन को उपहार स्वरूप कुछ वस्त्र एवं धन आदि प्रदान करता है।

भाई दूज को कहा जाता है यम द्वितीया?

भाई दूज को यम द्वितीया कहे जाने का एक कारण यह भी है कि इस दिन यमराज एवं यमुना के मिलन की स्मृति में यमुना-स्नान का विशेष महत्व होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन यमुना में स्नान करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं तथा आयु व धन की वृद्धि होती है। इस दिन तीर्थ स्नान करने से अन्त समय में यमदूत जीव को लेने नहीं आते हैं।

धर्मग्रन्थों में भाई दूज के अनुष्ठान के माहात्म्य का वर्णन करते हुये वर्णित किया गया है कि इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाता है, वह यमलोक के भय से मुक्त रहता है तथा दीर्घायु को प्राप्त करता है।

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