Kanya Pujan: कन्यापूजन में अगर नहीं मिल रही लड़कियां तो ऐसे करें व्रत पूरा
Kanya Pujan: नवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे पावन त्योहारों में से एक है, जो माँ दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। भक्त नौ दिनों तक गहरी श्रद्धा के साथ उपवास रखते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और अनुष्ठान करते हैं।
इन अनुष्ठानों में, कन्या पूजन (कंजक) (Kanya Pujan) का विशेष महत्व है। यह आमतौर पर नवरात्रि की अष्टमी (आठवें दिन) या नवमी (नौवें दिन) को किया जाता है, जहाँ नौ छोटी कन्याओं (देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक) की पूजा की जाती है।
हालांकि, कई भक्त सोचते हैं - अगर कन्या पूजन (Kanya Pujan) के लिए छोटी कन्याएँ उपलब्ध न हों तो क्या होगा? क्या व्रत अधूरा रह जाएगा? इसका उत्तर है नहीं। शास्त्र और परंपराएँ आपके व्रत को पूरा करने और माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के वैकल्पिक तरीके प्रदान करती हैं।
नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व
कन्या पूजन को नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। यह इस विश्वास का प्रतीक है कि स्त्रियों और कन्याओं में दिव्य शक्ति निवास करती है, जो पवित्रता, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक हैं। उनके चरण धोकर, उन्हें भोजन कराकर और उन्हें वस्त्र या धन भेंट करके, भक्त स्वयं माँ दुर्गा का सम्मान करते हैं।
कन्या पूजन न करना अक्सर अधूरी पूजा मानी जाती है, लेकिन अगर परिस्थितियाँ ऐसा करने से रोकती हैं, तो आध्यात्मिक ग्रंथ ऐसे विकल्प सुझाते हैं जिन पर देवी की समान कृपा होती है।
कन्या पूजन के लिए कन्याएँ उपलब्ध न हों तो क्या करें?
माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र की कन्या के रूप में पूजा करें
यदि छोटी कन्याएँ मौजूद न हों, तो आप माँ दुर्गा के बाल रूप (कुमारी) की मूर्ति या चित्र स्थापित कर सकते हैं और इस अनुष्ठान को ऐसे कर सकते हैं जैसे आप उन्हें भोग लगा रहे हों। यह कन्या पूजन का एक मान्यता प्राप्त रूप है। हलवा, पूरी और काले चने का भोग लगाएँ। मूर्ति के सामने लाल फूल और चुनरी रखें। उसी भक्तिभाव से प्रार्थना करें जैसे आप किसी जीवित कन्या की करते हैं।
सुहागिनों का पूजन करें
कुछ परंपराओं में, अगर छोटी कन्याएँ उपलब्ध न हों, तो उनकी जगह विवाहित महिलाओं का पूजन किया जा सकता है। उन्हें सिंदूर, चूड़ियाँ, मिठाई और प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस अनुष्ठान को सुहागिन पूजन कहा जाता है और इसे नवरात्रि व्रत पूरा करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। ज़रूरतमंदों को भोजन कराएँ और मंदिरों में भोजन कराएँ
यदि कन्याएँ या महिलाएँ मिलना मुश्किल हो, तो भक्त गरीबों और ज़रूरतमंदों को अन्नदान (भोजन दान) कर सकते हैं। मंदिरों, अनाथालयों या भूखे लोगों को भोजन कराना कन्या पूजन के समान माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि भूखे को भोजन कराना पूजा के सर्वोत्तम रूपों में से एक है।
पवित्र हवन में भोग अर्पित करें
व्रत पूरा करने का एक अन्य तरीका घर या मंदिर में हवन करना है। दुर्गा मंत्रों के जाप के साथ पवित्र अग्नि में पूरी, हलवा और चना जैसे पारंपरिक नवरात्रि भोग अर्पित करें। इस भक्तिपूर्ण कार्य को कन्या पूजन के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाता है।
देवी मंत्रों का जाप और दुर्गा सप्तशती का पाठ
यदि कन्याएँ या महिलाएँ उपलब्ध न हों, तो आप आध्यात्मिक जप और पाठ में डूबकर अपना व्रत पूरा कर सकते हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करना या पूर्ण विश्वास के साथ ‘या देवी सर्वभूतेषु’ मंत्र का जाप करना भी उतना ही शक्तिशाली माना जाता है और इससे मां दुर्गा अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
ध्यान रखने योग्य सावधानियां
यदि प्रतीकात्मक कन्या पूजन कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि अनुष्ठान उसी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाए।
पूरी, हलवा और काला चना जैसे सात्विक भोजन ही अर्पित करें। प्याज, लहसुन या मांसाहारी भोजन से बचें।
अपने इरादे हमेशा पवित्र रखें—माँ दुर्गा औपचारिकता से ज़्यादा भक्ति को महत्व देती हैं।
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