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Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी के दिन जरूर कर लें ये छोटा सा उपाय, बढ़ेगा सौभाग्य

विवाह पंचमी को भगवान श्री राम और देवी सीता की दिव्य शादी की सालगिरह के तौर पर मनाया जाता है।
06:30 PM Nov 22, 2025 IST | Preeti Mishra
विवाह पंचमी को भगवान श्री राम और देवी सीता की दिव्य शादी की सालगिरह के तौर पर मनाया जाता है।

Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी हिंदू कैलेंडर के सबसे पवित्र और शुभ दिनों में से एक है, जिसे भगवान श्री राम और देवी सीता की दिव्य शादी की सालगिरह के तौर पर मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष में विवाह पंचमी मंगलवार, 25 नवंबर को मनाई जाएगी। पूरे भारत में, खासकर अयोध्या और मिथिला में भक्त इस दिन को बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर श्री राम और माता सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य मिलता है।

विवाह पंचमी की शुरुआत

इस त्योहार की शुरुआत प्राचीन महाकाव्य रामायण से हुई है। कहानी के अनुसार, मार्गशीर्ष (अगहन) महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को, भगवान श्री राम ने राजा जनक के राज वाले मिथिला राज्य में माता सीता से शादी की थी। इस पवित्र घटना ने धर्म और शक्ति के मिलन को दिखाया। पीढ़ियों से, इस दिन को आदर्श विवाह, पवित्रता, वफादारी और आपसी सम्मान के दिव्य प्रतीक के रूप में माना जाता रहा है।

राम और सीता की शादी को आध्यात्मिक रूप से जुड़ी पार्टनरशिप का सबसे अच्छा उदाहरण माना जाता है, जिससे यह त्योहार उन लोगों के लिए बहुत खास हो जाता है जो शादीशुदा ज़िंदगी में तालमेल चाहते हैं

विवाह पंचमी का धार्मिक महत्व

विवाह पंचमी का गहरा धार्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान की पूजा करने से शादी से जुड़ी सभी रुकावटें दूर हो जाती हैं। भक्त इस त्योहार को इन चीज़ों के लिए मनाते हैं:

शादीशुदा ज़िंदगी में खुशी: शादीशुदा जोड़े अपने रिश्ते में प्यार, भरोसा और समझ को मज़बूत करने के लिए पूजा करते हैं।
शादी में हो रही देरी को दूर करना: बिना शादी के लोग जल्दी और शुभ विवाह के लिए माता सीता की पूजा करते हैं और सीता-राम विवाह कथा पढ़ते हैं।
अच्छी किस्मत और खुशहाली: भगवान की जोड़ी का आशीर्वाद घर में शांति, पैसा और पूरी खुशहाली लाता है।
बुरे असर से बचाव: माना जाता है कि इस दिन रामचरितमानस का पाठ करने से मंगल दोष और ग्रह रुकावट जैसे दोष दूर होते हैं।

विवाह पंचमी कैसे मनाई जाती है?

सुबह-सुबह नहाना और साफ़-सुथरी पूजा की तैयारी। भक्त पवित्र स्नान करते हैं (कभी-कभी पवित्र नदियों में) और श्री राम और माता सीता की तस्वीरों या मूर्तियों से पूजा की जगह तैयार करते हैं।

मंदिरों में इस दिव्य विवाह को तिलक समारोह, कन्यादान, मंगल फेरे , वैदिक मंत्र और भजन रस्मों से फिर से बनाया जाता है। अयोध्या और जनकपुर में बड़े उत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रम और जुलूस निकाले जाते हैं। कई भक्त इस दिन विवाह कांड (रामचरितमानस का पाठ) पढ़ते हैं, माना जाता है कि इससे आध्यात्मिक पुण्य और ईश्वरीय कृपा मिलती है।

इस दिन कुछ लोग व्रत रखते हैं और ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को खाना, कपड़े और दान देते हैं। राम-सीता की झांकियां, भक्ति गीत और मंदिर की सजावट इस उत्सव में जान डाल देती हैं।

विवाह पंचमी के लिए शुभ उपाय

एक साफ़ लाल कपड़ा लें और उस पर श्री राम और माता सीता की तस्वीर रखें। पाँच लाल फूल, पाँच चीनी के बताशे चढ़ाएँ और कुमकुम और हल्दी लगाएँ। शुद्ध घी का दीया जलाएँ और 108 बार “सीता राम सीता राम” का जाप करें। पूजा के बाद, लगातार खुशहाली के लिए लाल कपड़े को अपने पूजा घर में रखें।

इस उपाय के फ़ायदे

अच्छी किस्मत लाता है
जोड़ों के बीच तालमेल बढ़ाता है
शादी की रुकावटें दूर करता है
पॉज़िटिव एनर्जी और स्थिरता लाता है
घर की शांति और खुशहाली बढ़ाता है
माना जाता है कि इस रस्म से भगवान का आशीर्वाद मिलता है और सफलता, शांति और खुशहाली के रास्ते खुलते हैं।

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