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Vinayak Chaturthi 2025: आज है विनायक चतुर्थी, गणेश जी को लगाएं इन चीजों का भोग

विनायक चतुर्थी पर, भक्त भगवान गणेश को विशेष भोग चढ़ाते हैं। भोग में आमतौर पर मोदक शामिल होते हैं, जो गणेश जी की पसंदीदा मिठाई है।
07:30 AM May 30, 2025 IST | Preeti Mishra
विनायक चतुर्थी पर, भक्त भगवान गणेश को विशेष भोग चढ़ाते हैं। भोग में आमतौर पर मोदक शामिल होते हैं, जो गणेश जी की पसंदीदा मिठाई है।

Vinayak Chaturthi 2025: आज भगवान गणेश को समर्पित विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। यह त्योहार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। बाधाओं को दूर करने, प्रयासों में सफलता और समग्र समृद्धि के लिए इस दिन भगवान गणेश की पूजा (Vinayak Chaturthi 2025) करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। गणपति अथर्वशीर्ष का उपवास और जाप करना आम प्रथा है।

भाद्रपद में मनाई जाने वाली भव्य गणेश चतुर्थी के विपरीत, विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025) हर महीने आती है और ईमानदारी और शुद्ध भक्ति के साथ मनाई जाने पर विशेष रूप से शक्तिशाली होती है। आज के दिन चार शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में इस पर्व का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

आज बन रहे हैं चार शुभ योग

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 29 मई को रात 11:18 मिनट पर शुरू होकर 30 मई रात 09:22 मिनट पर समाप्त होगी। आज के दिन चार योगों- सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और भद्रावास योगवृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। वृद्धि योग दोपहर 12:58 मिनट से रहेगा। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग सुबह 05:24 मिनट से लेकर रात 09:29 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा भद्रावास योग सुबह 10:14 मिनट से दोपहर 03:42 मिनट तक होगा।

गणेश जी को लगाएं इन चीजों का भोग

विनायक चतुर्थी पर, भक्त भगवान गणेश को विशेष भोग चढ़ाते हैं। भोग में आमतौर पर मोदक शामिल होते हैं, जो गणेश जी की पसंदीदा मिठाई है। अन्य प्रसाद में लड्डू, दूर्वा घास, केले और लाल हिबिस्कस फूल शामिल हैं। कुछ लोग खीर, पोहा या पूरन पोली भी तैयार करते हैं। भोग सबसे पहले पूजा के दौरान भगवान गणेश को मंत्रोच्चार के साथ अर्पित किया जाता है। अनुष्ठान के बाद, भोग को परिवार और दोस्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

विनायक चतुर्थी के दिन करें इन मंत्रों का जाप

- श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
- ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये। वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
- ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
- ॐ वक्रतुण्डाय हुम्॥
- ॐ गं गणपतये नमः॥

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