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Vat Savitri Vrat 2025: 26 या 27 मई, कब है वट सावित्री व्रत, जानिए सही तिथि

उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में, इस तिथि को व्रत मनाया जाता है।
01:57 PM May 11, 2025 IST | Preeti Mishra
उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में, इस तिथि को व्रत मनाया जाता है।

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत एक पवित्र हिंदू त्योहार है जिसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाली के लिए मनाती हैं। ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाने वाला यह व्रत (Vat Savitri Vrat 2025) सावित्री की पौराणिक भक्ति का सम्मान करता है, जिन्होंने अपने अटूट विश्वास और ज्ञान के माध्यम से अपने पति सत्यवान को भगवान यम से वापस जीवित किया था।

इस दिन, महिलाएं व्रत रखती हैं, पवित्र वट (बरगद) के पेड़ की पूजा करती हैं, उसके चारों ओर धागे बांधती हैं और सावित्री-सत्यवान की कहानी सुनती हैं। वे पारंपरिक पोशाक पहनती हैं, सिंदूर लगाती हैं और वैवाहिक सद्भाव के लिए प्रार्थना करती हैं। यह व्रत (Vat Savitri Vrat 2025) विवाह के बंधन में प्रेम, शक्ति और समर्पण का प्रतीक है।

कब है वट सावित्री व्रत?

वट सावित्री व्रत 2025 सोमवार, 26 मई को मनाया जाएगा, जो ज्येष्ठ अमावस्या के साथ मेल खाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में, इस तिथि को व्रत मनाया जाता है। हालांकि, महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिणी राज्यों में, वट पूर्णिमा व्रत नामक एक समान अनुष्ठान मंगलवार, 10 जून, को मनाया जाएगा, जो ज्येष्ठ पूर्णिमा के साथ मेल खाता है।

अमावस्या तिथि शुरू: 26 मई, 2025 को दोपहर 12:11 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 27 मई, 2025 को सुबह 08:31 बजे

वट सावित्री व्रत महत्व

वट सावित्री व्रत सावित्री की पौराणिक भक्ति का सम्मान करता है, जिसने अपने दृढ़ संकल्प के माध्यम से भगवान यम (मृत्यु के देवता) को अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित करने के लिए राजी किया था। बरगद का पेड़ (वट वृक्ष), जिसके नीचे सत्यवान का निधन हुआ था, दीर्घायु का प्रतीक है और अनुष्ठानों का मुख्य केंद्र है।

वट सावित्री अनुष्ठान और पालन

सुबह की तैयारियां- महिलाएं जल्दी उठती हैं, पवित्र स्नान करती हैं और पारंपरिक पोशाक पहनती हैं, चूड़ियां, सिंदूर और गहनों से खुद को सजाती हैं, जो वैवाहिक सुख का प्रतीक है।
बरगद के पेड़ पर पूजा- भक्त जल, फूल, चावल चढ़ाते हैं और बरगद के पेड़ के चारों ओर पवित्र धागे बांधते हैं, जबकि वे अपने पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करते हुए इसकी परिक्रमा करते हैं।
उपवास: समर्पण और आत्म-अनुशासन का प्रदर्शन करते हुए, अक्सर बिना पानी के कठोर उपवास रखा जाता है।
व्रत कथा सुनना: सावित्री और सत्यवान की कथा सुनाई जाती है, जो प्रेम और भक्ति के गुणों को पुष्ट करती है।
दान: जरूरतमंदों को कपड़े, भोजन और आवश्यक वस्तुओं का दान करने को प्रोत्साहित किया जाता है, जो देने की भावना को दर्शाता है।

सावित्री और सत्यवान की कथा

सत्यवान की समर्पित पत्नी सावित्री को अपने पति की आसन्न मृत्यु के बारे में पहले से ही आगाह कर दिया गया था। जब यम सत्यवान की आत्मा को लेने आए, तो सावित्री की अटूट भक्ति और चतुराई ने यम को उसे वरदान देने के लिए मजबूर कर दिया, जिससे अंततः सत्यवान पुनर्जीवित हो गया। यह कहानी प्रेम, दृढ़ संकल्प और धार्मिकता की शक्ति का प्रतीक है।

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