Vat Savitri vrat 2025: अगर आपके घर के पास नहीं है बरगद का पेड़, तो इस तरह करें वट सावित्री की पूजा
Vat Savitri vrat 2025: सनातन धर्म में व्रत और त्योहारों का एक खास महत्व है, जो परिवार में संतुलन और खुशहाली लाते हैं। वट सावित्री व्रत ऐसा ही एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे शादीशुदा महिलाएं पूरी श्रद्धा के साथ अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह व्रत ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 26 मई को है। व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन खास तौर पर वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की पूजा करती हैं, क्योंकि इसे अटूट सौभाग्य और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। लेकिन कई बार घर के आसपास बरगद का पेड़ नहीं होता है। तो चलिए जानते हैं कि ऐसी स्थिति में महिलाएं वट सावित्री व्रत की पूजा कैसे कर सकती हैं।
वट वृक्ष की पूजा का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे कठिन तपस्या करके अपने पति सत्यवान को यमराज से मृत्यु के बंधन से छुड़ाया था और उन्हें पुनर्जीवित करवाया था। तभी से इस वृक्ष की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। यह माना जाता है कि वट वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा करने से ही व्रत पूर्ण होता है।
बरगद का पेड़ आसपास न होने पर क्या करें?
आजकल, खासकर शहरों में, बरगद का पेड़ हर जगह आसानी से नहीं मिलता। अगर आपके पास बरगद का पेड़ नहीं है, तो आप एक दिन पहले किसी जानने वाले से बरगद की एक छोटी शाखा मंगवा सकती हैं। पूजा के दिन उस शाखा को किसी साफ जगह पर रखकर पूरे विधि-विधान से पूजा की जा सकती है। ऐसा करने से भी व्रत का पूरा फल मिलता है।
अगर बरगद की टहनी भी न मिल पाए तो क्या करें?
अगर किसी वजह से आपको बरगद की टहनी भी न मिल सके, तो आप तुलसी के पौधे के पास बैठकर पूरे विधि-विधान से पूजा कर सकती हैं। पूजा का संकल्प लेकर, व्रत की कथा सुनते हुए और भगवान से अपने संकल्प को पूरा करने की प्रार्थना करते हुए तुलसी माता के सामने पूजा करें।
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