Vat Purnima 2025: 10 जून या 11जून, कब है वट पूर्णिमा? जानिए इसका महत्त्व
Vat Purnima 2025: हर साल विवाहित हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए वट पूर्णिमा (जिसे वट सावित्री पूर्णिमा भी कहा जाता है) का व्रत और बरगद के पेड़ की पूजा (Vat Purnima 2025) करती हैं। इस वर्ष लोगों में ये असमंजस की स्थिति है कि वट पूर्णिमा की पूजा और व्रत 10 जून या 11 जून को मनाया जाना चाहिए? आइये जानते हैं क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य।
ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि 9 जून को रात 11:05 बजे शुरू होती है और 11 जून को 12:43 बजे समाप्त होती है। उपवास और मुख्य अनुष्ठान आमतौर पर उस दिन किए जाते हैं जब पूर्णिमा तिथि (Vat Purnima 2025) दिन के उजाले में लागू होती है, यानी 10 जून, 2025 (मंगलवार)।
वट पूर्णिमा का महत्व
वट पूर्णिमा महाभारत की पौराणिक सावित्री-सत्यवान कथा का स्मरण करती है। राजकुमारी सावित्री की अटूट भक्ति और बुद्धिमत्ता ने मृत्यु के देवता यम से अपने पति के जीवन को वापस जीता। बरगद के पेड़ की पूजा सावित्री के दृढ़ प्रेम और उनके बरगद के पेड़ की छाया का प्रतीक है जहाँ उन्होंने तपस्या की थी।
उपवास सावित्री के आत्म-अनुशासन को दर्शाता है; महिलाएँ उनकी भक्ति को दोहराने के लिए निर्जला (बिना पानी) व्रत या आंशिक उपवास रखती हैं। विवाहित महिलाएँ वट वृक्ष के चारों ओर सात बार पीले या लाल धागे बाँधती हैं, पति की दीर्घायु और पारिवारिक सद्भाव के लिए प्रार्थना करती हैं।
पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले उठें, स्नान करें और पूजा स्थल को केले के पत्तों, फूलों और दीयों से सजाएँ।
- सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक पूर्ण उपवास (निर्जला) या फल-और-दूध का उपवास रखें।
- बरगद के पेड़ की पूजा हल्दी का लेप, सिंदूर, बिल्व पत्र और पेड़ की जड़ों में जल चढ़ाएँ।
- “ॐ वटसावित्री महादेवी सावित्री नमत:” का पाठ करते हुए तने के चारों ओर सात बार पवित्र धागा बाँधें।
- वट सावित्री की कथा सुनें या सुनाएँ, फिर प्रसाद (मीठे चावल या सात्विक व्यंजन) चढ़ाएँ।
- सूर्य देव और भगवान विष्णु की आरती के साथ समापन करें, लंबे और स्वस्थ वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद मांगें।
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