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Tulsi Vivah in Rajasthan: राजस्थान के खडगदा गाँव में धूमधाम से हुआ तुलसी विवाह का आयोजन

तुलसी विवाह एक पवित्र हिंदू त्योहार है जो देवी तुलसी और भगवान विष्णु, आमतौर पर उनके शालिग्राम रूप, के औपचारिक विवाह का प्रतीक है।
01:22 PM Nov 04, 2025 IST | Preeti Mishra
तुलसी विवाह एक पवित्र हिंदू त्योहार है जो देवी तुलसी और भगवान विष्णु, आमतौर पर उनके शालिग्राम रूप, के औपचारिक विवाह का प्रतीक है।
Tulsi Vivah in Rajasthan

Tulsi Vivah in Rajasthan: तुलसी विवाह मेवाड़ क्षेत्र सहित पूरे राजस्थान में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इसकी रस्में पारंपरिक हिंदू विवाह की तरह ही होती हैं। मुख्य रीति-रिवाज़ व्यापक रूप से एक जैसे हैं, जो तुलसी के पौधे (देवी वृंदा) और भगवान विष्णु (शालिग्राम पत्थर या मूर्ति द्वारा दर्शाए गए) के प्रतीकात्मक विवाह पर केंद्रित होते हैं। इसी क्रम में राजस्थान के खडगदा गाँव में धूम धाम से हुआ तुलसी विवाह (Tulsi Vivah in Rajasthan) का आयोजन हुआ।

गाँव में धूम धाम से हुआ तुलसी विवाह का आयोजन

सियाराम महिला मंडल एवं भट्टमेंवाडा ब्राह्मण समाज खड़गदा के संयुक्त तत्वावधान में तुलसी विवाह का आयोजन रविवार को गोधूलि बेला में संपन्न हुआ। विशाल शोभायात्रा के रुप में स्वर्ण छत्र, पुष्पों से सुसज्जित भगवान शालिग्राम की बारात घनघोटी में शाम को डाॅ विमलेश पण्ड्या के निवास से रवाना होकर, गरबा एवं भजनों सांस्कृतिक नृत्यों के साथ गांव के प्रमुख मार्गो से होते हुए वधु पक्ष जनार्दन दीक्षित के निवास पर पर पहूँची।

यहां दुल्हे एवं बारातियों का स्वागत किया गया। वर वदाईया, तोरण मारना, हस्त मिलाप, पाणिग्रहण, सात फेरे और कन्या दान के पारंपरिक और प्रतिकात्मक रिवाज पूर्ण किए गए। कन्या दान के पश्चात देर रात्रि बारात की विदाई, पैरावणी, पगफैरा, आरती एवं प्रसाद वितरण हुआ।

इस अवसर पर सियाराम महिला मण्डल के समस्त सदस्य, समाज अध्यक्ष प्रसन्न द्विवेदी, सचिव रजनीकांत द्विवेदी, जयेश पण्ड्या, निखिलेश मेंहता, गौरव मेंहता, विरंचि दीक्षित, परेश दवे, अचल दीक्षित सहित समाज की महिलाऐं, बालक, वरिष नागरिक सम्मिलित हुए।

क्या है तुलसी विवाह?

तुलसी विवाह एक पवित्र हिंदू त्योहार है जो देवी तुलसी और भगवान विष्णु, आमतौर पर उनके शालिग्राम रूप, के औपचारिक विवाह का प्रतीक है। कार्तिक माह की एकादशी या द्वादशी को मनाया जाने वाला यह त्योहार मानसून के अंत और हिंदू विवाह के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।

भक्त पारंपरिक विवाह की तरह ही अनुष्ठान करते हैं, तुलसी के पौधे पर मिठाई, फूल और पवित्र जल चढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से घर में समृद्धि, सद्भाव और दिव्य आशीर्वाद आता है। यह हिंदू परंपरा में भक्ति और धर्म के मिलन का प्रतीक है।

तुलसी विवाह का महत्व

तुलसी विवाह का महत्व देवी तुलसी और भगवान विष्णु के दिव्य मिलन में निहित है, जो पवित्रता, भक्ति और समृद्धि का प्रतीक है। कार्तिक एकादशी या द्वादशी को मनाया जाने वाला यह पवित्र अनुष्ठान हिंदू विवाह के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी विवाह करने से परिवार में शांति, सद्भाव और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस शुभ समारोह का आयोजन करते हैं या इसके साक्षी बनते हैं, उन्हें वास्तविक विवाह (कन्यादान) करने के समान पुण्य प्राप्त होता है। यह त्योहार भक्तों को आस्था, सदाचार और ईश्वर और भक्त के बीच शाश्वत बंधन के महत्व की याद दिलाता है।

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