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Mangala Gauri Vrat 2025: सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत आज, जानें क्यों खास है यह दिन

आज के दिन महिलाएं कठोर व्रत रखती हैं, सोलह श्रृंगार से पूजा करती हैं और मंगला गौरी व्रत कथा सुनती हैं।
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Mangala Gauri Vrat 2025: आज सावन महीने का तीसरा मंगला गौरी व्रत है। यह दिन विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, सुखी वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए समर्पित है। इसके अलावा कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की इच्छा के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत (Mangala Gauri Vrat 2025) सावन महीने के प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है।

आज के दिन महिलाएं कठोर व्रत रखती हैं, सोलह श्रृंगार से पूजा करती हैं और मंगला गौरी व्रत कथा सुनती हैं। यह पवित्र मंगलवार का अनुष्ठान सावन के सभी मंगलवारों को किया जाता है। यह व्रत (Mangala Gauri Vrat 2025) अत्यंत शुभ माना जाता है और सुखी एवं सौहार्दपूर्ण वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देता है।

Mangala Gauri Vrat 2025: सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत आज, जानें क्यों खास है यह दिन

मंगला गौरी व्रत क्यों खास है?

मंगला गौरी व्रत का हिंदू परंपरा में, खासकर नवविवाहित महिलाओं के लिए, गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। सावन के पावन महीने में मंगलवार को मनाया जाने वाला यह व्रत देवी पार्वती को समर्पित है, जिनकी मंगला गौरी के रूप में पूजा की जाती है - जो वैवाहिक सुख और कल्याण की प्रतीक हैं। ऐसा माना जाता है कि पार्वती ने स्वयं भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी और यह व्रत उनकी अटूट भक्ति का प्रतीक है।

मंगला गौरी व्रत के दिन महिलाएँ व्रत रखती हैं, विस्तृत अनुष्ठान करती हैं, सोलह श्रृंगार करती हैं और मंगला गौरी व्रत कथा सुनती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत वैवाहिक कलह को दूर करता है, पति की लंबी आयु सुनिश्चित करता है और घर में सुख, समृद्धि और शांति लाता है।

इस व्रत को वास्तव में विशेष बनाने वाली बात यह विश्वास है कि देवी गौरी अपने भक्तों को शक्ति, धैर्य और सभी धार्मिक इच्छाओं की पूर्ति का आशीर्वाद देती हैं, खासकर प्रेम और विवाह के मामलों में।

Mangala Gauri Vrat 2025: सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत आज, जानें क्यों खास है यह दिन

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि

प्रातः स्नान: जल्दी उठें, पवित्र स्नान करें और स्वच्छ पारंपरिक वस्त्र (लाल या पीले रंग की साड़ी/सूट) पहनें।
वेदी स्थापना: पूजा स्थल को साफ़ करें और एक लकड़ी की चौकी रखें जिस पर साफ़ कपड़ा ढँका हो। देवी गौरी/पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
कलश स्थापना: मूर्ति के पास एक कलश रखें और उसे आम के पत्तों और नारियल से सजाएँ।
देवी गौरी को भोग: कुमकुम, हल्दी, अक्षत, चूड़ियाँ, मेहंदी, सिंदूर, साड़ी, फूल और मिठाई (विशेषकर नारियल के लड्डू) चढ़ाएँ।
सोलह श्रृंगार अनुष्ठान: देवी की सुंदरता और शुभता के प्रतीक, सोलह श्रृंगार का अनुष्ठान करें।
व्रत कथा पाठ: मंगला गौरी व्रत कथा को श्रद्धापूर्वक सुनें या पढ़ें।
आरती और भोग: कपूर या घी के दीपक से आरती करें और खीर, पूरी और फल जैसे भोग अर्पित करें।
दान और आशीर्वाद: विवाहित महिलाओं को वस्तुएँ (विशेषकर लाल चूड़ियाँ, मिठाई और वस्त्र) दान करें और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद लें।

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