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तनोट माता का चमत्कारी मंदिर: जहाँ 3000 बम गिरे लेकिन एक भी नहीं फटा!

राजस्थान की रेतीली धरती पर, जैसलमेर जिले के सीमावर्ती इलाके में एक ऐसा चमत्कारी मंदिर स्थित है, जिसकी कहानी सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है। ये कोई आम मंदिर नहीं, बल्कि माता रानी का वो पवित्र धाम है, जिस...
03:13 PM May 07, 2025 IST | Sunil Sharma

राजस्थान की रेतीली धरती पर, जैसलमेर जिले के सीमावर्ती इलाके में एक ऐसा चमत्कारी मंदिर स्थित है, जिसकी कहानी सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है। ये कोई आम मंदिर नहीं, बल्कि माता रानी का वो पवित्र धाम है, जिस पर दुश्मन ने हजारों बम बरसाए, लेकिन मंदिर को एक खरोंच तक नहीं आई। हम बात कर रहे हैं तनोट माता मंदिर की — एक ऐसा स्थान जहाँ न सिर्फ आस्था की ताकत है, बल्कि वीरता और विश्वास की अद्भुत मिसाल भी कायम है।

युद्ध के बीच अडिग रही आस्था

1965 और 1971 की भारत-पाक युद्धों के दौरान पाकिस्तान की सेना ने तनोट माता मंदिर को निशाना बनाया। बताया जाता है कि 1965 के युद्ध में पाकिस्तान ने इस मंदिर पर करीब 3000 बम गिराए थे। इनमें से 450 बम तो सीधे मंदिर परिसर में गिरे, लेकिन न कोई विस्फोट हुआ और न ही मंदिर को कोई नुकसान पहुँचा। लोगों का मानना है कि ये माता तनोट का चमत्कार था, जिसने इस मंदिर को दुश्मन के हर वार से बचाया।

जब माँ की रक्षा सेना ने की

इस ऐतिहासिक युद्ध के समय, मेजर जय सिंह की अगुवाई में भारतीय सेना की 13 ग्रेनेडियर कंपनी और सीमा सुरक्षा बल (BSF) की दो टुकड़ियाँ तनोट माता मंदिर की सुरक्षा में डटी रहीं। पाकिस्तानी सेना ने तीन दिशाओं से हमला किया था और कुछ किलोमीटर तक भारतीय सीमा में घुस भी आई थी, लेकिन भारतीय जवानों की वीरता और माँ तनोट के आशीर्वाद से दुश्मन को पीछे हटना पड़ा। इसके बाद से आज तक BSF के जवान इस मंदिर की देखभाल करते हैं। वे न सिर्फ मंदिर की सफाई और प्रबंधन करते हैं, बल्कि रोज सुबह-शाम होने वाली आरती में भी भाग लेते हैं।

आज भी हैं युद्ध के निशान

मंदिर परिसर में एक छोटा सा संग्रहालय (म्यूजियम) भी है, जहाँ आज भी वो बम रखे गए हैं जो उस युद्ध में फटे नहीं थे। यह म्यूजियम तनोट माता की चमत्कारी शक्ति और भारतीय सेना की वीरता की साक्षी है। तनोट माता मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि ये भारत की सैन्य शक्ति, आस्था और आत्मबल का प्रतीक भी बन चुका है। आज भी हजारों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं, खासकर वो लोग जो सेना के बलिदान को करीब से महसूस करना चाहते हैं।

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