Sarva Pitru Amavasya पर रहेगा सूर्य ग्रहण का साया, जानें तर्पण का शुभ समय
Sarva Pitru Amavasya: सनातन धर्म परंपरा में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। यह वह काल है जब हमारे पूर्वज अपने वंशजों की पुकार से प्रसन्न होकर इस धरा पर लौटते हैं और तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान के माध्यम से तृप्ति प्राप्त करते हैं। पितृ पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) को होता है, जिसे पितरों के प्रस्थान का दिन माना जाता है।
इस दिन अपने ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के मोक्ष, उनकी आत्मा की शांति और ईश्वर की कृपा हेतु श्राद्ध, तर्पण और दान (Sarva Pitru Amavasya) करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
सर्व पितृ अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त
सर्व पितृ अमावस्या कल रविवार, 21 सितंबर को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 21 सितंबर को प्रातः 12:16 बजे से प्रारंभ होकर 22 सितंबर को प्रातः 1:23 बजे तक रहेगी। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करके पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।
इस दिन श्राद्ध के लिए सर्वोत्तम समय प्रातः 11:50 बजे से दोपहर 01:27 बजे तक है। इसके अलावा दोपहर 12:38 मिनट से लेकर दोपहर 01:27 मिनट तक भी श्राद्ध किया जा सकता है। अपराह्न बेला में श्राद्ध और तर्पण के लिए समय दोपहर 01:27 मिनट से लेकर 03:53 मिनट तक है। इस समय विधि-विधान से पितरों का तर्पण करने से आत्मा तृप्त होती है और परिवार पर कृपा बनी रहती है।
सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण
इस वर्ष सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। यह ग्रहण 21 सितंबर की रात 10:59 बजे शुरू होगा और 22 सितंबर की सुबह 3:23 बजे तक रहेगा। यह घटना भारत में दिखाई नहीं देगी क्योंकि यह रात्रि में घटित होगी। सूर्य ग्रहण के दिन सूतक चार प्रहर पहले लग जाता है। लेकिन इस सूर्य ग्रहण के सूतक काल का कोई प्रभाव भारत में नहीं होगा। इसलिए, पूरे दिन बिना किसी रुकावट के पितरों का पूजन, तर्पण और पिंडदान किया जा सकता है।
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्माएँ अपने वंशजों के पास आती हैं और उनकी भक्ति व सेवा से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं। श्राद्ध और तर्पण के बिना पितरों की आत्माएँ अधूरी रहती हैं, इसलिए सर्व पितृ अमावस्या पर उन्हें उचित रूप से याद करना अत्यंत आवश्यक है।
पुराणों में कहा गया है कि— येन पितृगणः त्रिप्तः तेन देवः प्रसन्नः। अर्थात् जब पितरों की कृपा होती है, तभी देवता भी प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
पितरों को तर्पण करने से आध्यात्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। विशेष रूप से जिनके परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुई हो, इस दिन तर्पण और श्राद्ध करने से उन्हें सांसारिक मोह-माया से मुक्ति मिलती है और परमधाम की प्राप्ति होती है।
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