पितृ दोष से मुक्ति के लिए सबसे उत्तम दिन है सोमवती अमावस्या, इन मन्त्रों का करें जाप
Somvati Amavasya 2025: सोमवती अमावस्या एक दुर्लभ और शक्तिशाली तिथि है जो तब होती है जब अमावस्या सोमवार के साथ मेल खाती है। यह अनोखा संयोग गहरा आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व रखता है। इस वर्ष यह विशेष दिन (Somvati Amavasya 2025) सोमवार, 26 मई को है। यह दिन आध्यात्मिक शुद्धि, दान और पूर्वजों की पूजा के लिए एक दिव्य अवसर प्रदान करता है।
यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो अपनी कुंडली में पितृ दोष से पीड़ित हैं। माना जाता है कि पितृ दोष पूर्वजों के प्रति अधूरे कर्तव्यों या उनसे विरासत में मिले नकारात्मक कर्मों का परिणाम है। यह विवाह, वित्त, स्वास्थ्य और शांति में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2025) को इस दोष को दूर करने और दिवंगत आत्माओं से आशीर्वाद लेने के लिए अनुष्ठान करने और मंत्र जप करने के लिए सबसे प्रभावी दिनों में से एक माना जाता है।
सोमवती अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा, यमुना या शिप्रा जैसी नदियों में पवित्र स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति मिलती है। तर्पण, पिंडदान और जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि परिवार शांति और समृद्धि के लिए पितृ कर्म करते हैं।
सोमवती अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति कैसे पाएं
पवित्र स्नान और तर्पण: दिन की शुरुआत किसी पवित्र नदी या घर पर गंगाजल से स्नान करके करें। तर्पण (काले तिल, फूल और चावल मिलाकर जल चढ़ाना) करें और पितरों के मंत्रों का जाप करें।
पिंड दान: अगर संभव हो तो गया, प्रयागराज या हरिद्वार जैसी जगहों पर जाकर पिंडदान करें। इससे निचले लोकों में फंसे पितरों को राहत मिलती है।
ब्राह्मणों और गायों को भोजन कराएं: सात्विक भोजन बनाएं और इसे अपने पूर्वजों के लिए प्रतीकात्मक प्रसाद के रूप में ब्राह्मणों, गरीब परिवारों और गायों को दान करें।
दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं: दक्षिण दिशा पितरों से जुड़ी हुई है। इस दिशा में घी का दीपक जलाएं और हाथ जोड़कर मंत्रों का जाप करें।
दान: अपने पूर्वजों की याद में काले तिल, उड़द की दाल, लोहा, सरसों का तेल और कपड़े जैसी चीजें दान करें।
पितृ दोष दूर करने के शक्तिशाली मंत्र
माना जाता है कि सोमवती अमावस्या पर निम्नलिखित मंत्रों का जाप करने से पितृ आत्माओं को शांति मिलती है और नकारात्मक कर्म बाधाएं दूर होती हैं:
पितृ दोष निवारण मंत्र- "ओम नमो भगवते वासुदेवाय पितृ दोष निवारणाय स्वाहा" (108 बार जाप करें)
पितृ गायत्री मंत्र- "ॐ सर्वपितृ देवताभ्यो स्वाहा" (सभी पूर्वजों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए)
पितृ शांति मंत्र- "ॐ पितृभ्यो नमः" (तर्पण और दीपदान के समय जप करें)
26 मई 2025 को सोमवती अमावस्या, अपने और अपने परिवार को पितृ दोष के बोझ से मुक्त करने का एक सुनहरा अवसर है। पितृ अनुष्ठान करके, व्रत रखकर, ज़रूरतमंदों को दान देकर और पवित्र मंत्रों का जाप करके आप न केवल अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं, बल्कि जीवन में आध्यात्मिक सद्भाव, समृद्धि और आशीर्वाद का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।
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