Som Pradosh Vrat: आज है सोम प्रदोष व्रत, जानें गोधूलि बेला में पूजा का सही समय
Som Pradosh Vrat: आज सोम प्रदोष व्रत है। जब प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष के रूप में जाना जाता है। यह अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और पापों से मुक्ति पाने वाले भक्तों के लिए विशेष महत्व (Som Pradosh Vrat) रखता है। व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और प्रदोष काल के दौरान भगवान शिव की पूजा करते हैं।
शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध और शहद चढ़ाने के साथ-साथ शिव मंत्रों का जाप करने से देवता प्रसन्न होते हैं। सोम प्रदोष (Som Pradosh Vrat) निःसंतान दंपत्तियों और वैवाहिक सुख और शांति की कामना करने वालों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है।
कब है प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त?
प्रदोष व्रत किसी भी महीने की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 जून को रात 01:21 बजे से शुरू होकर
23 जून को रात 10:09 बजे समाप्त होगी। ऐसे में प्रदोष व्रत आज 23 जून, दिन सोमवार को मनाया जाएगा। सोम प्रदोष व्रत के दिन शाम को या गोधूलि बेला में पूजा करना का सबसे अच्छा मुहूर्त शाम 07:19 से रात 09:28 बजे तक रहेगा। आज के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए 2 घण्टे और 9 मिनट का समय मिलेगा।
क्यों सोम प्रदोष व्रत का है विशेष महत्व?
सोम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि यह तब होता है जब प्रदोष व्रत सोमवार के साथ मेल खाता है, जो भगवान शिव का पवित्र दिन है। यह दुर्लभ संयोग इच्छाओं को पूरा करने, दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने और शांति और समृद्धि प्राप्त करने के लिए बेहद शक्तिशाली माना जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार:
- सोमवार को पूजा करने पर भगवान शिव विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं, और प्रदोष काल उनका सबसे शुभ समय होता है।
- सोम प्रदोष पर व्रत करने से पिछले पापों को दूर करने, मुक्ति प्रदान करने और अच्छे स्वास्थ्य और वैवाहिक सुख को सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।
- यह निःसंतान दंपतियों, वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे लोगों या मानसिक शांति चाहने वालों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद माना जाता है।
- आध्यात्मिक रूप से, यह ध्यान, मंत्र जाप और शिवलिंग अभिषेक के माध्यम से आत्मा को शुद्ध करने का एक आदर्श समय है, जो व्यक्ति को दिव्य चेतना के करीब लाता है।
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठें, पवित्र स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें और भक्तिपूर्वक सोम प्रदोष व्रत करने का संकल्प लें।
- पूजा स्थल या शिवलिंग को साफ करें। क्षेत्र को फूलों, दीये और धूप से सजाएँ।
- अपनी क्षमता के अनुसार निर्जला या फलहार व्रत रखें।
- प्रदोष काल के दौरान शिव पूजा शुरू करें, जो सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे पहले और बाद का समय होता है।
- जल, दूध, शहद, दही और घी से अभिषेक करें। बेलपत्र, सफेद फूल, चंदन और फल चढ़ाएँ।
- ओम नमः शिवाय, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और सोम प्रदोष व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- पूजा का समापन शिव आरती से करें और प्रसाद बांटें। यदि संभव हो तो जरूरतमंदों को दान या भोजन दें।
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