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Skanda Shashthi 2025: कल है स्कंद षष्ठी, ऐसे करें भगवान कार्तिकेय की पूजा

स्कंद षष्ठी को नकारात्मकता पर विजय, जीवन में साहस और आध्यात्मिक उन्नति की कामना के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है।
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Skanda Shashthi 2025: भगवान कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद, मुरुगन या सुब्रमण्य के नाम से भी जाना जाता है, के भक्त कल रविवार, 1 जून को स्कंद षष्ठी मनाने की तैयारी कर रहे हैं। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष षष्ठी (Skanda Shashthi 2025) को मनाया जाने वाला यह पवित्र दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के योद्धा पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए समर्पित है।

स्कंद षष्ठी को नकारात्मकता पर विजय, जीवन में साहस और आध्यात्मिक उन्नति की कामना के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। दक्षिण भारत में, विशेष रूप से तमिलनाडु में, इस दिन (Skanda Shashthi 2025) का बहुत अधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है और इसे विस्तृत कार्तिकेय पूजा अनुष्ठानों और उपवास के साथ मनाया जाता है।

Skanda Shashthi 2025: कल है स्कंद षष्ठी, ऐसे करें भगवान कार्तिकेय की पूजा

कब रखा जाएगा स्कंद षष्ठी व्रत?

द्रिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 31 मई दिन शनिवार को रात 08:15 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 1 जून, दिन रविवार को रात 07 :59 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, स्कंद षष्ठी का व्रत 1 जून दिन रविवार को रखा जाएगा।

स्कंद षष्ठी का महत्व

स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय की राक्षस सुरपदमन पर दिव्य विजय का स्मरण करती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भगवान कार्तिकेय को युद्ध, साहस, ज्ञान और ब्रह्मचर्य के देवता के रूप में पूजा जाता है, और अक्सर उन लोगों द्वारा पूजा की जाती है जो जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं या अदृश्य शक्तियों से सुरक्षा चाहते हैं।

कई मंदिरों में, विशेष रूप से तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के मुरुगन मंदिरों में, विशेष अभिषेकम (अनुष्ठान स्नान), होमम (अग्नि अर्पण) और भजन किए जाते हैं। भक्त उपवास भी रखते हैं और स्कंद षष्ठी कवचम का जाप करते हैं, जो एक शक्तिशाली भजन है जो दिव्य सुरक्षा और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।

Skanda Shashthi 2025: कल है स्कंद षष्ठी, ऐसे करें भगवान कार्तिकेय की पूजा

स्कंद षष्ठी के दिन ऐसे करें भगवान कार्तिकेय की पूजा

यदि आप घर पर स्कंद षष्ठी मना रहे हैं, तो कार्तिकेय पूजा करने के लिए चरण-दर-चरण पूजा विधि इस प्रकार है:

- सुबह जल्दी घर और पूजा वेदी को साफ करें।
- पवित्र स्नान करें और साफ, अधिमानतः सफेद या पीले कपड़े पहनें।
- वेदी पर भगवान कार्तिकेय (जिन्हें मुरुगन या सुब्रमण्य के नाम से भी जाना जाता है) की मूर्ति या चित्र रखें।
- घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- ताजे फूल (विशेष रूप से लाल या चमेली), चंदन का लेप, कुमकुम और फल चढ़ाएं।
- स्कंद षष्ठी कवचम, सुब्रमण्य अष्टकम या मुरुगन गायत्री मंत्र का पाठ करें।
- यदि संभव हो तो दूध, शहद और पवित्र जल से अभिषेक करें।
- फल, गुड़ और नारियल जैसे नैवेद्यम (प्रसाद) चढ़ाएं।
- ध्यान करें और शक्ति, स्पष्टता और सुरक्षा के लिए आशीर्वाद मांगें।
- पूजा का समापन आरती के साथ करें और परिवार के सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।

Skanda Shashthi 2025: कल है स्कंद षष्ठी, ऐसे करें भगवान कार्तिकेय की पूजा

स्कंद षष्ठी व्रत का आध्यात्मिक लाभ

स्कंद षष्ठी व्रत, व्यक्ति की इच्छाशक्ति और साहस को बढ़ाता है। इसके अलावा यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और भय से राहत दिलाता है। साथ ही यह व्रत बुरी ऊर्जाओं और नकारात्मकता से बचाता है। स्कंद षष्ठी व्रत बाधाओं और असफलताओं को दूर करने में मदद करता है और व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक शुद्धता और ज्ञान लाता है।

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