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Shukra Pradosh Vrat 2025: आज है शुक्र प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि और पारण समय

प्रदोष व्रत करने से विवाहित जोड़ों को विशेष रूप से लाभ होता है, क्योंकि यह प्रेम को मजबूत करता है और पारिवारिक जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
06:00 AM Sep 05, 2025 IST | Preeti Mishra
प्रदोष व्रत करने से विवाहित जोड़ों को विशेष रूप से लाभ होता है, क्योंकि यह प्रेम को मजबूत करता है और पारिवारिक जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।

Shukra Pradosh Vrat 2025: आज प्रदोष व्रत है। शुक्रवार को पड़ने के कारण इस व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। शुक्र प्रदोष व्रत शुक्रवार को सूर्यास्त के ठीक बाद प्रदोष काल (Shukra Pradosh Vrat 2025) में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए मनाया जाने वाला एक पवित्र व्रत है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को भक्ति भाव से करने से वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत करने से विवाहित जोड़ों को विशेष रूप से लाभ होता है, क्योंकि यह प्रेम को मजबूत करता है और पारिवारिक जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है। इस दिन लोग दूध, शहद और बिल्वपत्रों से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और प्रार्थना करते हैं।

दान और ज़रूरतमंदों को भोजन कराना भी शुभ माना जाता है। यह व्रत (Shukra Pradosh Vrat 2025) पापों का नाश करता है, आध्यात्मिक उत्थान प्रदान करता है और भक्तों को जीवन में शांति, धन और सुख प्रदान करता है।

शुक्र प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त

भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 5 सितंबर सुबह 04:09 मिनट पर होगी और इसका समापन 6 सितंबर मध्य रात्रि 03:14 मिनट पर होगा। ऐसे में आज, 05 सितंबर को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। आज के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जिससे व्रत का महत्व और बढ़ जाता है। प्रदोष व्रत की पूजा शाम को गोधूलि बेला में होती है। ऐसे में आज पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:22 बजे से रात 08:39 बजे के बीच है।

कब करें प्रदोष व्रत के बाद पारण?

जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं वह समय शिव पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ होता है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष के समय शिवजी प्रसन्नचित मनोदशा में होते हैं। द्रिक पञ्चाङ्ग प्रदोष के दिनों के साथ समय भी सूचिबद्ध करता है जो कि शिव पूजा के लिये उपयुक्त समय है। जो जातक आज के दिन व्रत रखेंगे वो कल यानी शनिवार 6 सितंबर को सूर्योदय के बाद पारण कर सकते हैं।

शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि

- सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें।
- पूरे दिन विचारों और कार्यों में पवित्रता बनाए रखें।
- व्रत रखें (निर्जला या यथाशक्ति फल और दूध से)।
- पूजा स्थल को साफ़ करें और उसे फूलों और रंगोली से सजाएँ।
- भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्ति या चित्र एक साफ़ वेदी पर स्थापित करें।
- पूजा प्रदोष काल (सूर्यास्त के लगभग डेढ़ घंटे बाद) में की जाती है।
- घी या तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएँ।
- अभिषेक के दौरान भगवान शिव को जल, दूध, दही, शहद, चीनी और घी (पंचामृत) अर्पित करें।
- शिवलिंग को बिल्वपत्र, फूल, धतूरा और चंदन के लेप से सजाएँ।
- ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
- प्रदोष व्रत कथा को भक्ति भाव से पढ़ें या सुनें।
- भगवान शिव और देवी पार्वती को फल, मिठाई और पान अर्पित करें।
- परिवार के सदस्यों और ज़रूरतमंदों में प्रसाद बाँटें।
- गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र या धन दान करें।
- पूजा पूरी करने और भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के बाद व्रत तोड़ें।

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