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Shiv Temple:एक ऐसा अद्भुत रहस्य जहां मंदिर का कपाट बंद होने के बाद रोजाना कौन करता है महादेव की पूजा?

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Shiv Temple: देवों का देव महादेव के पूरी दुनिया ( Shiv Temple) में अनेकों मंदिर बने हुए है जिसमें से कुछ अपनी बनावट तो कोई अपने रहस्य और कोई मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन आज हम...
01:07 PM Feb 28, 2024 IST | Juhi Jha

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Shiv Temple: देवों का देव महादेव के पूरी दुनिया ( Shiv Temple) में अनेकों मंदिर बने हुए है जिसमें से कुछ अपनी बनावट तो कोई अपने रहस्य और कोई मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन आज हम आपको भगवान शिव से जुड़े एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जो अपने अद्भुत रहस्य के लिए जाना जाता है।

मध्यप्रदेश में स्थित नीलकंठेश्वर नाम से प्रचलित यह मंदिर अपने शिल्पकारी के लिए काफी प्रसिद्ध है। लेकिन इस मंदिर से जुड़ी एक ऐसी रहस्यमयी बात है जिसे सुन हर कोई अंचभित रह जाता है। दरअसल इस मंदिर से जुड़ा रहस्य है कि मंदिर का कपाट बंद होने के बाद कोई शिवलिंग की पूजा कर जाता है और इस बात का सबूत भगवान शिव पर चढ़े फूल है। आइए जानते है क्या है पूरी कहानी :—

आखिर कौन कर जाता है ​शिव की पूजा

मध्यप्रदेश में विदिशा के गंजबासौदा तहसील रेलवे स्टेशन से 22 किलोमीटर की दूरी पर उदयपुर गांव में स्थित नीलकंठेश्वर मंदिर को लेकर स्थानिय लोगों की मान्यता है कि रोज सुबह बंद कपाट में ही कोई ​भगवान शिव की पूजा कर जाता है। मंदिर के पुजारी को रोजाना पहले से ही ताजे फूल चढ़े मिलते हैं। लोगों के अनुसार बुंदेलखंड के सेनापति आल्हा और ऊदल रोजाना इस मंदिर में महादेव की पूजा और कमल का फूल अर्पित करते है। वहीं इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के शासक राजा उदयादित्य द्वारा करवाया गया था और वह भगवान शिव के परम भक्त थे। राजा उदयादित्य ने अपने 250-300 साल के राज में कई मंदिरों, छात्रावास और पाठशाला का भी निर्माण किया था।

मंदिर के शिखर पर दिखाई देता है आकृति ?

नील कंठेश्वर मंदिर को लेकर लोगों में कई तरह की मान्यताएं है। पौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही व्यक्ति द्वारा रातों रात किया गया था। मंदिर बनने के बाद वह व्यक्ति मंदिर से नीचे आ गया लेकिन उसका ध्यान गया कि वह अपना झोला ऊपर ही भूल गया है। इस वजह से वह अपना झोला लेने वापिस मंदिर के शिखर पर जाता है। लेकिन उसके नीचे आने से पहले ही सवेरा हो गया और मुर्गे ने बांग दे दी जिस वजह से वह व्यक्ति वहींं रह गया। कहा जाता है कि नील कंठेश्वर मंदिर के शिखर पर आज भी उस व्यक्ति की आकृति नजर आती है।

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