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Sheetala Saptami 2025: किस दिन मनाई जाएगी शीतला सप्तमी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में बहुत से व्रत रखे जातें हैं। हर व्रत का अपने आप में एक अलग महत्व होता है।
06:00 AM Mar 16, 2025 IST | Jyoti Patel
हिंदू धर्म में बहुत से व्रत रखे जातें हैं। हर व्रत का अपने आप में एक अलग महत्व होता है।
Sheetala Saptami 2025

Sheetala Saptami 2025: हिंदू धर्म में बहुत से व्रत रखे जातें हैं। हर व्रत का अपने आप में एक अलग महत्व होता है। शीतला सप्तमी के व्रत का भी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विशेष महत्व है। हिंदू पंचाग के प्रथम माह चैत्र में कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी को भक्त यह रखतें हैं। हालांकि व्रत की शुरुआत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को हो जाती है और अगले दिन अष्टमी तक चलती है जिसे शीतला अष्टमी कहते हैं। शीतला सप्तमी के दिन भक्त व्रत रखकर पूरे नियम से माता शीतला की पूजा-अर्चना करते हैं। इस व्रत के अगले दिन यानी शीतला अष्टमी को माता को बसौड़े का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि देवी माता शीतला की पूजा से भक्तों को आरोग्य प्राप्त होता है और सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं। इस बार किस दिन रखा जाएगा व्रत, क्या होगा पूजा का शुभ महूर्त जानते हैं, पूरी जानकारी...

कब है शीतला सप्तमी ?

शीतला सप्तमी का व्रत हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। इस बार इस व्रत की शुरुआत 21 मार्च को देर रात 2 बजकर 45 मिनट पर शुरू होकर 22 मार्च को सुबह 4 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। वहीं शीतला सप्तमी का व्रत 21 मार्च शुक्रवार को रखा जाएगा। शीतला सप्तमी पर पूजा के लिए शुभ समय 21 मार्च को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 33 मिनट रहेगा।

शीतला अष्टमी के लिए शुभ मुहूर्त

शीतला सप्तमी के अगले दिन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी शीतला अष्टमी मनाई जाती है। जिसे बासोड़ा भी कहा जाता है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च को सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर शुरू होकर 23 मार्च को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी।इस दिन माता को बसौड़ा का भोग लगाया जाता है।

शीतला सप्तमी को बन रहें हैं ये शुभ योग

इस बार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर कई शुभ योग बन रहे हैं। सिद्धि योग- शाम 6 बजकर 42 मिनट तक रहेगा, माना जाता है इस योग में मां शीतला की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता एवं सिद्धि प्राप्त होती है। रवि योग- शीतला सप्तमी पर रवि योग का भी संयोग भी बन रहा है। इस योग में मां शीतला की साधना करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है। भद्रावास योग- शीतला सप्तमी को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट तक भद्रावास योग है।

जानिए शीतला सप्तमी की पूजा विधि

शीतला सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प करें और स्नान आदि के बाद पूजा की तैयारी करें।
चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर शीतला माता की मूर्ति स्थापित करें।
इसके बाद माता शीतला को जल चढ़ाएं, और हल्दी, चंदन, सिंदूर, या कुमकुम का टीका लगाएं
इसके बाद माता शीतला को लाल रंग के फूल चढ़ाएं।
माता को धूप-दीप लगाएं,और चने की दाल चढ़ाएं।
शीतला माता की आरती के साथ पूजा करें।
माता शीतला को धोक लगाकर, शीतला अष्टमी को बसौड़े का भोग।
शीतला सप्तमी के दिन भोग तैयार करके बसौड़े का भोग लगाया जाता है।
है।
शीतला अष्टमी को ताजा भोजन मनाहे की मनाही होती है और प्रसाद के रूप में सभी खीर खातें हैं।

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