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Shardiya Navratri 2025 सोमवार से प्रारम्भ, इस वर्ष हाथी पर आ रही हैं माँ

‘मूलेन आवहेति देवि’ के अनुसार इस वर्ष माँ का आगमन गज (हाथी) पर हो रहा है जो अत्यन्त शुभ है।
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Shardiya Navratri 2025

Shardiya Navratri: शारदीय नवरात्रि सोमवार, 22 सितंबर से प्रारम्भ हो रही है। इसका समापन 1 अक्टूबर को महानवमी के दिन होगा। वहीं इस वर्ष दशहरा या विजयदशमी 2 अक्टूबर (Shardiya Navratri) को मनाई जाएगी।

इस वर्ष हाथी पर सवार होकर आ रही हैं माँ

लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय ने बताया कि शारदीय नवरात्रि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। इस वर्ष सोमवार को प्रतिपदा तिथि रात 01:19 बजे तक है। इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र दिन में 11:25 तक रहेगा और उसके बाद हस्त नक्षत्र रहेगा। ‘मूलेन आवहेति देवि’ के अनुसार इस वर्ष माँ का आगमन गज (हाथी) पर हो रहा है जो अत्यन्त शुभ है।

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय

दस दिनों की है इस बार नवरात्रि

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार, इस वर्ष नवरात्रि दस दिनों की होगी। चतुर्थी तिथि यानी माँ कूष्मांडा की पूजा दो दिन होगी। नवरात्रि (Shardiya Navratri) सोमवार से प्रारम्भ होकर बुधवार 1 अक्टूबर को नवमी तिथि में पूर्णाहुति होगी।

Shardiya Navratri 2025 सोमवार से प्रारम्भ, इस वर्ष हाथी पर आ रही हैं माँ

जानें कलश स्थापना मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय ने बताया कि सोमवार, 22 सितंबर को कलश स्थापना मुहूर्त सुबह 06:00 बजे से लेकर शाम तक कभी भी किया जा सकता है। वहीं कलश स्थापना का विशेष अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:36 से दोपहर 12:24 तक रहेगा। इस शारदीय नवरात्र में माँ भगवती का आगमन गज यानि हाथी पर हो रहा है जो जगत के लिए कल्याणकारी है।

पंडित राकेश पाण्डेय कहते हैं कि इस दिन माँ भगवती का ध्यान कर ‘जयन्ती मंगला काली भद्र काली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते’ का जप करें। जिससे सम्पूर्ण जनमानस का कल्याण हो। कलश स्थापना के बाद माँ भगवती दुर्गा का पञ्चोपचार या षोडशोपचार पूजन कर दुर्गासप्तशती पाठ, नवार्ण मन्त्र का जप निष्ठा पूर्वक करना चाहिए। प्रत्येक सनातन धर्मियों को चाहिए कि मन, वचन व कर्म से पवित्र रहते हुये माँ भगवती की उपासना करें।

Shardiya Navratri 2025 सोमवार से प्रारम्भ, इस वर्ष हाथी पर आ रही हैं माँ

विजयादशमी या दशहरा 2025, 2 अक्टूबर को

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय ने बताया कि विजयादशमी या दशहरा, 2 अक्टूबर को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाएगा। यह त्योहार भगवान राम की रावण पर विजय और नौ दिवसीय नवरात्रि उत्सव के समापन का प्रतीक है। इस दिन, भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, मंदिरों में जाते हैं और भव्य रामलीला और रावण दहन समारोहों में भाग लेते हैं, जहाँ बुराई के विनाश के प्रतीक के रूप में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं।

विजयादशमी नए उद्यम शुरू करने के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे सफलता और समृद्धि के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। यह त्योहार लोगों को सत्य, सदाचार और धार्मिकता को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

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