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Sharad Purnima Kheer: शरद पूर्णिमा पर क्यों बनाई जाती है खीर? जानिए इसका धार्मिक और स्वास्थ्य कारण

इस शुभ रात्रि में, लोग खीर बनाते हैं, उसे चांदनी में रखते हैं और अगली सुबह उसका सेवन करते हैं।
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Sharad Purnima Kheer

Sharad Purnima Kheer: शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग की सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमाओं में से एक है। आश्विन माह में पड़ने वाला यह पर्व समृद्धि, स्वास्थ्य और ईश्वरीय कृपा से गहराई से जुड़ा है। इस वर्ष 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाएगी।

इस शुभ रात्रि में, लोग खीर बनाते हैं, उसे चांदनी में रखते हैं और अगली सुबह उसका सेवन करते हैं। लेकिन शरद पूर्णिमा पर खीर (Sharad Purnima Kheer) क्यों बनाई जाती है और इस परंपरा को इतना खास क्या बनाता है? आइए इसके धार्मिक, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक महत्व को जानें।

शरद पूर्णिमा पर खीर का धार्मिक महत्व

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा वह दिन है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी किरणों से विशेष उपचारात्मक गुण प्रदान करता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस रात चंद्रमा अमृततुल्य गुणों से युक्त होता है, जो स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बढ़ाने में सक्षम है।

Sharad Purnima Kheer: शरद पूर्णिमा पर क्यों बनाई जाती है खीर, जानिए इसका धार्मिक और स्वास्थ्य कारण

दूध, चावल और चीनी से बनी खीर (Sharad Purnima Kheer) को सात्विक व्यंजन माना जाता है, जो पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है। भक्त रात भर चांदनी में खीर रखते हैं, यह मानते हुए कि यह चंद्रमा की दिव्य ऊर्जा को अवशोषित करती है। अगले दिन इसे खाने से घर में देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है।

यह परंपरा वृंदावन में भगवान कृष्ण और गोपियों की दिव्य रास लीला का भी स्मरण कराती है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह शरद पूर्णिमा की रात को घटित हुई थी। इस प्रकार खीर का भोग लगाना ईश्वर के प्रति भक्ति और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

चांदनी रात में खीर के स्वास्थ्य लाभ

इस अनुष्ठान की गहरी आध्यात्मिक जड़ें होने के साथ-साथ इसके वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी हैं। जानिए क्यों:

चाँदनी का शीतल प्रभाव: शरद पूर्णिमा की रात चाँद की किरणों में शीतलता का गुण माना जाता है। माना जाता है कि खीर को इस प्रकाश में रखने से यह पचने में आसान और पेट के लिए आरामदायक होती है।

दूध और चावल का मिश्रण: दूध कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन से भरपूर होता है, जबकि चावल कार्बोहाइड्रेट प्रदान करता है। ये दोनों मिलकर एक पौष्टिक और आसानी से पचने वाला भोजन बनाते हैं।

Sharad Purnima Kheer: शरद पूर्णिमा पर क्यों बनाई जाती है खीर, जानिए इसका धार्मिक और स्वास्थ्य कारण

रात्रिकालीन अवशोषण: खीर को खुले आसमान के नीचे ढके हुए बर्तन में रखने से यह प्राकृतिक रूप से ठंडी हो जाती है, खराब होने से बचती है और इसका स्वाद भी बढ़ जाता है।

मौसमी स्वास्थ्य लाभ: शरद पूर्णिमा मानसून से शीत ऋतु में संक्रमण का प्रतीक है। चाँदनी रात में खीर का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, शरीर की गर्मी संतुलित रहती है और मौसमी बदलावों के दौरान ऊर्जा बनाए रखने में मदद मिलती है।

मन और शरीर की शांति: पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार चाँदनी मन पर शांत प्रभाव डालती है। कहा जाता है कि चांदनी में डूबी खीर खाने से तनाव कम होता है और अच्छी नींद आती है।

शरद पूर्णिमा खीर का सांस्कृतिक महत्व

भारत के कई क्षेत्रों में, शरद पूर्णिमा को कौमुदी महोत्सव या चाँदनी के त्योहार के रूप में भी मनाया जाता है। परिवार छतों या खुले आँगन में इकट्ठा होकर पूर्णिमा की सुंदरता का आनंद लेते हैं। खीर इस मिलन का केंद्रबिंदु बन जाती है, जो एकजुटता, उत्सव और कृतज्ञता का प्रतीक है।

बंगाल और ओडिशा में, इस रात को देवी लक्ष्मी की पूजा से भी जोड़ा जाता है, जहाँ भक्त उनका आशीर्वाद पाने की आशा में रात भर जागते रहते हैं। पड़ोसियों और परिवार के साथ चाँदनी की खीर बाँटने से सामुदायिक बंधन की भावना बढ़ती है।

Sharad Purnima Kheer: शरद पूर्णिमा पर क्यों बनाई जाती है खीर, जानिए इसका धार्मिक और स्वास्थ्य कारण

निष्कर्ष

शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने की परंपरा धार्मिक भक्ति, वैज्ञानिक ज्ञान और सांस्कृतिक बंधन का एक अनूठा संगम है। आध्यात्मिक रूप से, इसे दिव्य चंद्र आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका माना जाता है, वहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से, यह ऋतु परिवर्तन के दौरान पोषण, रोग प्रतिरोधक क्षमता और शांति प्रदान करती है।

जब आप शरद पूर्णिमा 2025 मना रहे हों, तो याद रखें कि खीर बनाना और बाँटना केवल एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि एक सार्थक परंपरा है जो तन, मन और आत्मा को प्रकृति की लय से जोड़ती है।

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