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Shani Jayanti 2025: 26 या 27 मई, कब है शनि जयंती? जानें सही तिथि और पूजा विधि

भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिये किये जाने वाले हवन, होम तथा यज्ञ आदि हेतु शनि जयन्ती का दिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
12:31 PM May 15, 2025 IST | Preeti Mishra
भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिये किये जाने वाले हवन, होम तथा यज्ञ आदि हेतु शनि जयन्ती का दिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

Shani Jayanti 2025: शनिदेव के जन्मदिवस को शनि जयन्ती के रूप में मनाया जाता है। शनि देव हिंदू धर्म में न्याय और कर्म के देवता माने जाते हैं। शनि जयंती ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को मनाई जाती है। सूर्य देव और छाया के पुत्र भगवान शनि, व्यक्ति के कर्मों के आधार पर परिणाम देने के लिए जाने जाते हैं। इस दिन (Shani Jayanti 2025) भक्त शनि देव की पूजा करते हैं, सरसों का तेल, काले तिल और काले कपड़े चढ़ाते हैं और कठिनाइयों से सुरक्षा के लिए शनि मंत्रों का जाप करते हैं।

माना जाता है कि शनि जयंती (Shani Jayanti 2025) के दिन व्रत रखने और पूजा करने से शनि दोष के बुरे प्रभाव कम होते हैं। इस दिन शनि देव की पूजा करने से व्यक्ति को रोग से छुटकारा मिलता है और कर्जों से मुक्ति मिलती है। शनि ग्रह तथा शनिवार के दिन को शनिदेव ही शासित करते हैं।

कब है इस वर्ष शनि जयंती?

द्रिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि का आरंभ 26 मई को दोपहर 12:11 मिनट पर होगा। वहीँ इस तिथि का समापन 27 मई को रात 08:31 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार शनि जयंती 27 मई को मनाई जाएगी।

इस दिन शनि तैलाभिषेकम पूजा का है बहुत महत्व

भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिये किये जाने वाले हवन, होम तथा यज्ञ आदि हेतु शनि जयन्ती का दिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। शनि जयन्ती के अवसर पर किये जाने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में शनि तैलाभिषेकम तथा शनि शान्ति पूजा मुख्य हैं। कुण्डली में साढ़े साती के नाम से प्रसिद्ध शनि दोष के प्रभाव को कम करने के लिये शनि तैलाभिषेकम तथा शनि शान्ति पूजा किये जाते हैं।

शनि तैलाभिषेकम पूजा के लाभ

शनि तैलाभिषेकम पूजा, भगवान शनि को तेल चढ़ाने की रस्म, गहरा आध्यात्मिक महत्व रखती है और माना जाता है कि यह उनके अशुभ प्रभाव को शांत करती है। यह अभिषेक, विशेष रूप से शनिवार या शनि जयंती पर करने से, कुंडली में शनि दोष, साढ़े साती और ढैय्या के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है। यह पुरानी बीमारी, कर्ज, कानूनी मुद्दों और पेशेवर असफलताओं से राहत दिलाता है।

इस पूजा के बाद भक्त अक्सर बेहतर ध्यान, स्थिरता और अनुशासन का अनुभव करते हैं। पूजा पिछले कर्मों को साफ करने में भी मदद करती है, मानसिक शांति को बढ़ावा देती है और दुर्घटनाओं और दुश्मनों से सुरक्षा सुनिश्चित करती है। अभिषेक के दौरान तिल का तेल, काले तिल और प्रार्थना अर्पित करने से भगवान शनि का आशीर्वाद मिलता है।

शनि जयंती पूजा विधि

- दिन की शुरुआत पवित्र स्नान से करें और साफ काले या गहरे नीले रंग के कपड़े पहनें।
- पश्चिम या दक्षिण की ओर मुख करके बैठें और शनि जयंती की पूजा भक्तिपूर्वक करने का संकल्प लें।
- भगवान शनि की मूर्ति या चित्र को साफ लकड़ी के मंच पर रखें।
- भगवान के सामने सरसों के तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- सरसों के तेल से अभिषेक करें, उसके बाद काले तिल, काला कपड़ा, नीले फूल और उड़द की दाल चढ़ाएं।
- आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शनि बीज मंत्र ("ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनिचराय नमः") और शनि चालीसा का पाठ करें।
- शनि की आरती के साथ समापन करें और भगवान शनि को प्रसन्न करने और कर्म के बोझ को कम करने के लिए गरीबों या ज़रूरतमंदों को काली वस्तुएं, तेल, कपड़े या भोजन दान करें।

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