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Shabari Jayanti 2024: जिस स्थान पर श्रीराम ने खाएं थे शबरी के झूठे बेर, आज कहां है वो स्थान? जानें क्यों मनाई जाती है शबरी जयंती

Shabari Jayanti 2024: रामचरितमानस में कई मुख्य पात्रों (Shabari Jayanti 2024)का ​वर्णन किया गया है। जिसमें एक शबरी भी है। मां शबरी के झूठे बेर के बिना रामायण को अधूरा माना जाता है। मां सीता की तलाश के दौरान भगवान...
06:38 PM Feb 29, 2024 IST | Juhi Jha
Shabari Jayanti 2024: रामचरितमानस में कई मुख्य पात्रों (Shabari Jayanti 2024)का ​वर्णन किया गया है। जिसमें एक शबरी भी है। मां शबरी के झूठे बेर के बिना रामायण को अधूरा माना जाता है। मां सीता की तलाश के दौरान भगवान...

Shabari Jayanti 2024: रामचरितमानस में कई मुख्य पात्रों (Shabari Jayanti 2024)का ​वर्णन किया गया है। जिसमें एक शबरी भी है। मां शबरी के झूठे बेर के बिना रामायण को अधूरा माना जाता है। मां सीता की तलाश के दौरान भगवान श्रीराम ने शबरी के झूठे बेर खाएं थे। हर साल फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की सप्तमी को शबरी जयंती मनाई जाती है।

इस साल फाल्गुन माह में शबरी जयंती 03 मार्च 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान राम सहित माता शबरी की भी पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन ही माता शबरी और श्रीराम की मुलाकात हुई थी। आइए जानते है आज वो स्थान कहां है जहां पर श्रीराम और माता शबरी की मुलाकात हुई थी और क्यों मनाई जाती है शबरी जयंती:—

यहां है माता शबरी का धाम:-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रामायण काल में जिस स्थान पर श्रीराम का माता शबरी से मिलन हुआ था वह स्थान वर्तमान में छत्तीसगढ़ में शिवरीनारायण के नाम से प्रसिद्ध है। यह शिवरी नारायण छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से करीबन 64 किलोमीटर दूर पर महानदी के तट पर बसा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार माता शबरी भील समुदाय के शबर जाति से संबंधित थी। उनका विवाह एक भील से तय किया गया था।

भील समुदाय में शादी से पहले जानवरों की बलि देने का नियम था। लेकिन शबरी ने जब सैकड़ों जानवरों की बलि देने की तैयारी देखी उन्हें बहुत बुरा लगा और शादी से एक दिन पहले ही वह घर से भाग गई। घर से भाग कर उन्होंने दंडकारण्य में मतंग ऋषि के आश्रम में शरण ली और मतंग ऋषि ने ही माता शबरी को बताया था कि एक दिन भगवान श्रीराम और लक्ष्मण उनसे मिलने के लिए इसी आश्रम मे आंएगे। तभी से माता शबरी भगवान राम का इंतजार करने लगी।

श्रीराम को शबरी ने क्यों खिलाए झूठे बेर:-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब श्रीराम अपने वनवास काल में शबरी से मुलाकात की तो शबरी ने भोजन के रूप में बेर लाकर दिए थे। माता शबरी चाहती थी कि श्रीराम को खट्टे बेर ना खाने पड़े इस वजह से वह चखचख कर मीठे बेर श्रीराम को खाने को दिए थे जिसे श्रीराम ने बड़े ही प्रेम से खाए ​थे।

शबरी जयंती का महत्व:-

मान्यता है कि इसी दिन श्रीराम की कृपा से माता शबरी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और तभी से फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की सप्तमी को शबरी जयंती जाती है। कहा जाता है ​जो भी व्यक्ति इस दिन माता शबरी और श्रीराम की पूजा करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में खुशहाली आती है।

इस विधि से करे पूजा:-

इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर नवीन वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान के समक्ष व्रत का सकंल्प करे। इसके बाद पूजा स्थान की साफ सफाई कर श्रीराम और माता शबरी को पूजा फल, फूल, दूर्वा,धूप, दीप, अगरबत्ती ,अक्षत,सिंदूर आदि चीजें अर्पित करें। प्रसाद के रूप में शबरी माता और भगवान श्रीराम को बेर अवश्य चढ़ाए। इसके बाद आरती करे और पूरे दिन व्रत रखें। इस बात का खास ध्यान रखें कि इस दिन भूलकर भी अन्न ग्रहण ना करें सिर्फ फलाहार करे। अगले दिन व्रत पारण के बाद नित्य दिन की भांति पूजा-पाठ के पश्चात ही व्रत खोले।

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