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Sawan Shivratri 2025: कब है सावन शिवरात्रि? जानें सही तिथि और महत्व

श्रावण माह में आने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि कहते हैं। वैसे तो श्रावण का पूरा महीना ही भगवान शिव को समर्पित है व उनकी पूजा करने के लिए शुभ है।
11:40 AM Jun 12, 2025 IST | Preeti Mishra
श्रावण माह में आने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि कहते हैं। वैसे तो श्रावण का पूरा महीना ही भगवान शिव को समर्पित है व उनकी पूजा करने के लिए शुभ है।

Sawan Shivratri 2025: हिन्दू धर्म में सावन के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि का बहुत महत्व है। सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि या के रूप में पूजा जाता है। इस दिन (Sawan Shivratri 2025) शिव के भक्त व्रत रखते हैं और मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं।

श्रावण माह में आने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2025) कहते हैं। वैसे तो श्रावण का पूरा महीना ही भगवान शिव को समर्पित है व उनकी पूजा करने के लिए शुभ है। इसीलिए श्रावण महीने में आने वाली शिवरात्रि को भी अत्यधिक शुभ माना गया है।

कब है सावन शिवरात्रि?

द्रिक पंचांग के अनुसार, सावन महीने की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 22 जुलाई 22 को सुबह 04:39 बजे होगी। वहीं इसका समापन 23 जुलाई को रात 02:28 मिनट पर होगा। ऐसे में सावन शिवरात्रि बुधवार, 23 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन निशिता काल पूजा का समय रात 00:23 से रात 01:07 मिनट तक है। सावन शिवरात्रि के व्रत के बाद पारण का समय 24 जुलाई को सुबह 06:13 बजे के बाद है।

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 07:18 से 10:01
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 10:01 से 00:45
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 00:45 से 03:29
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:29 से 06:13

सावन शिवरात्रि व्रत विधि

शिवरात्रि के एक दिन पहले भक्तों को केवल एक समय ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। सावन शिवरात्रि के दिन व्रत करने की इच्छा रखने वालों को पुरे दिन के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। शिवरात्रि के दिन भक्तों को शाम को स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करना चाहिए। शिव जी की पूजा रात्रि के समय करना चाहिए एवं अगले दिन अपना व्रत तोड़ना चाहिए। व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने हेतु, भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए।

सावन शिवरात्रि का महत्व

सावन शिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यह भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीने में आती है। सावन के महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला यह पर्व शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है। भक्त उपवास रखते हैं, रुद्राभिषेक करते हैं और समृद्धि, वैवाहिक सद्भाव और पापों से मुक्ति के लिए शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध और जल चढ़ाते हैं।

माना जाता है कि यह रात आध्यात्मिक जागृति और दिव्य संबंध के लिए बेहद शुभ होती है। सावन शिवरात्रि के दौरान की जाने वाली पूजा अन्य शिवरात्रियों की तुलना में कई गुना अधिक शक्तिशाली मानी जाती है।

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