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Sawan Purnima 2025: सावन पूर्णिमा 9 अगस्त को, इस दिन इन पांच उपायों से पूरी होगी मनोकामना

सावन का महीना पवित्र महीनों में से एक माना जाता है, जो पूरी तरह से भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है।
11:36 AM Aug 07, 2025 IST | Preeti Mishra
सावन का महीना पवित्र महीनों में से एक माना जाता है, जो पूरी तरह से भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है।

Sawan Purnima 2025: सावन का महीना हिंदू कैलेंडर के सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है, जो पूरी तरह से भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस महीने का प्रत्येक सोमवार आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन सावन पूर्णिमा (Sawan Purnima 2025) इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है।

इस वर्ष सावन पूर्णिमा शनिवार, 9 अगस्त को पड़ रही है। यह दिन भारत के कई हिस्सों में रक्षा बंधन के रूप में भी मनाया जाता है, जो भाई-बहन के बंधन और नकारात्मक शक्तियों से दैवीय सुरक्षा का प्रतीक है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सावन पूर्णिमा पर विशेष पूजा, अनुष्ठान और आध्यात्मिक उपाय करने से बाधाएं दूर होती हैं, समृद्धि आती है और लंबे समय से चली आ रही मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पूर्णिमा (Sawan Purnima 2025) की रात ब्रह्मांडीय ऊर्जा आध्यात्मिक प्रयासों के प्रभाव को बढ़ा देती है, जिससे यह दैवीय शक्तियों से जुड़ने का सबसे अच्छा समय बन जाता है।

आइए जानें इस वर्ष सावन पूर्णिमा 2025 पर किए जाने वाले पाँच शक्तिशाली उपायों के बारे में जिन्हें आप जीवन में आशीर्वाद, शांति और सफलता पाने के लिए कर सकते हैं।

भगवान शिव को पंचामृत अभिषेक अर्पित करें

सावन पूर्णिमा पर शिवलिंग का पंचामृत अभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पंचामृत में पाँच पवित्र सामग्रियाँ शामिल होती हैं - दूध, दही, शहद, घी और चीनी - ये सभी पवित्रता और पोषण का प्रतीक हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह अनुष्ठान दरिद्रता, स्वास्थ्य समस्याओं और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और मनोकामना पूर्ति एवं समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।

इसे कैसे करें:

- सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हुए शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करें।
- अभिषेक के बाद, चंदन का लेप लगाएँ और सफेद फूल, बिल्व पत्र और फल अर्पित करें।

पवित्र रक्षा सूत्र बाँधें

चूँकि रक्षा बंधन भी सावन पूर्णिमा को पड़ता है, इसलिए कलाई पर रक्षा सूत्र बाँधने की प्रथा है। यह सिर्फ़ भाई-बहनों के लिए ही नहीं, बल्कि बुरी नज़र और नकारात्मकता से आत्म-रक्षा के लिए एक आध्यात्मिक उपाय भी है। ऐसा माना जाता है कि यह दिव्य ऊर्जा का कवच है जो आपको अदृश्य खतरों, दुर्भाग्य और काले जादू से बचाता है।

इसे कैसे करें:

- एक लाल या पीला धागा लें और उसे रक्षा मंत्र: “ॐ रक्षा रक्षा महाबाहो शत्रु नाम भयंकरम्” का जाप करके सक्रिय करें।
- धागे को अपनी दाहिनी कलाई (पुरुष) या बाईं कलाई (महिला) पर बाँधें।

गरीबों को सफेद खाद्य पदार्थ दान करें

हिंदू धर्म में दान का विशेष महत्व है, खासकर पूर्णिमा के दिन। सावन पूर्णिमा पर चावल, चीनी, दूध या सफेद वस्त्र जैसे सफेद खाद्य पदार्थ दान करने से चंद्र देव प्रसन्न होते हैं और भावनात्मक व आर्थिक स्थिरता आती है। यह उपाय उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह या रिश्तों से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

इसे कैसे करें:

- चावल, चीनी, दही और सफेद वस्त्र या मिठाई से एक दान की थाली तैयार करें।
- इसे ब्राह्मणों, गरीबों या मंदिर के पुजारी को अर्पित करें।
- इसे शुद्ध मन और मदद करने के इरादे से करें।

महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें

महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को समर्पित सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक है। सावन पूर्णिमा पर इसका जाप करने से भय, स्वास्थ्य समस्याओं और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। यह मंत्र स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि यह बुरे कर्मों और ग्रह दोषों को भी दूर करता है।

कैसे करें:

- शिवलिंग या भगवान शिव की तस्वीर के सामने बैठें।
- रुद्राक्ष की माला से 108 बार मंत्र का जाप करें।
- भगवान शिव के स्वरूप का ध्यान करें और उनका आशीर्वाद लें।

पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीया जलाएँ

पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीया जलाना अत्यंत पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। यहाँ दीया चढ़ाने से पितृ दोष, आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं और समग्र कल्याण होता है। यह उपाय आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है, घर में शांति लाता है और सौभाग्य को आकर्षित करता है।

इसे कैसे करें:

- शाम को सूर्यास्त के बाद घी का दीया जलाएँ।
- पेड़ पर जल चढ़ाएँ और उसकी सात बार परिक्रमा करें।
- ऐसा करते समय गायत्री मंत्र या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें।

इस सावन पूर्णिमा को अपनी आध्यात्मिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ बनाएँ, जहाँ दिव्य प्रकाश आपके जीवन में प्रवेश करे और समृद्धि और खुशियों के द्वार खोले।

यह भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2025: क्यों मनाते हैं रक्षाबंधन? जानिए इससे जुडी पौराणिक मान्यताएं

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