नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

Sawan Pradosh Vrat: इस दिन रखा जाएगा सावन का आखिरी प्रदोष व्रत, ऐसे करें शिव जी की पूजा

ऐसा माना जाता है कि यह व्रत पापों का नाश करता है, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का आशीर्वाद प्रदान करता है।
10:37 AM Jul 30, 2025 IST | Preeti Mishra
ऐसा माना जाता है कि यह व्रत पापों का नाश करता है, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का आशीर्वाद प्रदान करता है।
Sawan Pradosh Vrat 2025

Sawan Pradosh Vrat: सावन प्रदोष व्रत, भगवान शिव को समर्पित, सावन के पवित्र महीने में मनाया जाने वाला एक अत्यंत शुभ व्रत है। यह चंद्रमा की बढ़ती और घटती, दोनों कलाओं की त्रयोदशी (13वें दिन) को मनाया जाता है। भक्तगण दिन भर उपवास रखते हैं और प्रदोष काल (Sawan Pradosh Vrat) में शिव की पूजा करते हैं, जो कि रात्रि होने से ठीक पहले का गोधूलि काल है।

ऐसा माना जाता है कि यह व्रत पापों का नाश करता है, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का आशीर्वाद प्रदान करता है। सावन के पवित्र महीने में प्रदोष व्रत रखना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है क्योंकि यह भगवान शिव को प्रिय (Sawan Pradosh Vrat) है। अविवाहित कन्याएँ भी अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं।

कब है सावन का आखिरी प्रदोष व्रत?

द्रिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 06 अगस्त को दोपहर 02:08 मिनट पर होगी और 07 अगस्त को दोपहर 02:27 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर संध्याकाल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके लिए 06 अगस्त को सावन महीने का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

सावन प्रदोष व्रत के मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 20 मिनट से 05 बजकर 03 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से 03 बजकर 34 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 08 मिनट से 07 बजकर 30 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

सावन प्रदोष व्रत पूजा विधि

- ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें।
- स्वच्छ या बेहतर होगा कि सफेद/हल्के रंग के कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल को साफ़ करें और उसे गंगाजल से शुद्ध करें।
- पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखने का संकल्प लें।
- भगवान शिव और देवी पार्वती का ध्यान करें।
- प्रदोष काल सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे पहले और बाद में पूजा करें।
- भगवान शिव और नंदी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए जल, दूध, दही, शहद और घी चढ़ाएँ।
- घी का दीपक जलाएँ।
- बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, चंदन का लेप, चावल, फल और मिठाई चढ़ाएँ।
- शिव चालीसा, प्रदोष व्रत कथा, या शिव पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करें।
- धूप और कपूर से आरती करें।
- शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए क्षमा याचना करें।
- भक्त निर्जला या फलाहार व्रत रख सकते हैं।
- अगली सुबह सूर्योदय के बाद प्रार्थना के बाद व्रत तोड़ें।

सावन प्रदोष व्रत में क्या ना करें

- अनाज या नमक का सेवन न करें
- मांसाहारी भोजन और शराब से परहेज करें
- क्रोध न करें या कठोर शब्द न बोलें
- दिन में सोने से बचें
- बाल या नाखून न काटें
- काले कपड़े पहनने से बचें
- शिवलिंग का अनादर न करें या उसे अशुद्ध हाथों से न छुएँ

यह भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2025: 8 या 9 अगस्त, कब है रक्षाबंधन? जानें राखी बांधने का शुभ समय

Tags :
Kab Hai Sawan Pradosh VratSawan Pradosh VratSawan Pradosh Vrat 2025Sawan Pradosh Vrat 2025 dateSawan Pradosh Vrat MuhuratSawan Pradosh Vrat Puja Vidhiकब है सावन का आखिरी प्रदोष व्रतसावन प्रदोष व्रतसावन प्रदोष व्रत के दिन क्या ना करेंसावन प्रदोष व्रत के मुहूर्तसावन प्रदोष व्रत पूजा विधि

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article