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Sawan Pradosh Vrat 2025: आज है सावन का आखिरी प्रदोष व्रत, ऐसे करें शिव जी को प्रसन्न

प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। आज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है।
06:00 AM Aug 06, 2025 IST | Preeti Mishra
प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। आज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है।
Sawan Last Pradosh Vrat 2025

Sawan Pradosh Vrat 2025: भगवान शिव की आराधना को समर्पित पवित्र सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखता है। इसके विभिन्न शुभ दिनों में से, प्रदोष व्रत भक्तों द्वारा मनाए जाने वाले सबसे शक्तिशाली और आध्यात्मिक रूप से उत्थानकारी व्रतों में से एक है। सावन का अंतिम प्रदोष व्रत आज बुधवार, 6 अगस्त को मनाया जाएगा।

प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। आज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। आज के दिन भगवान शिव की पूजा (Sawan Pradosh Vrat 2025) की जाती है। यह व्रत बुधवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत भी कहा जाता है।

कब है पूजा का शुभ समय?

द्रिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 06 अगस्त को दोपहर 02:08 मिनट पर होगी। वहीं, 07 अगस्त को दोपहर 02:27 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। प्रदोष व्रत के दिन संध्याकाल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसलिए यह व्रत (Sawan Pradosh Vrat 2025) आज ही के दिन मनाया जाएगा।

सावन प्रदोष व्रत का महत्व

संध्या काल में किया जाने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करता है और उनकी दिव्य कृपा प्रदान करता है। जब यह व्रत सावन के पवित्र महीने में पड़ता है, तो इसकी शुभता कई गुना बढ़ जाती है। सावन को भगवान शिव का महीना माना जाता है और इस दौरान व्रत या अनुष्ठान करने से पापों का नाश, मनोकामनाओं की पूर्ति, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इस वर्ष, क्योंकि अंतिम प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है, इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि बुध प्रदोष व्रत करने से अच्छा स्वास्थ्य और मानसिक स्पष्टता प्राप्त होती है, साथ ही कर्ज और दुर्भाग्य से मुक्ति भी मिलती है।

सावन बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि

आज के दिन भक्तों को जल्दी उठना चाहिए, स्नान करना चाहिए और साफ़ कपड़े पहनने चाहिए। प्रार्थना स्थल को साफ़ करें और भगवान शिव के लिए एक पवित्र स्थान स्थापित करें। भक्त अपनी क्षमता के अनुसार, दिन भर उपवास रखते हैं, फल और दूध ग्रहण करते हैं, या निर्जला व्रत रखते हैं। शाम (प्रदोष काल) में शिवलिंग को साफ़ करें या भगवान शिव की मूर्ति या चित्र लाएँ। "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते हुए जल और दूध से अभिषेक करें। चंदन का लेप लगाएँ, फूल (विशेषकर सफ़ेद), बिल्वपत्र, धतूरा और फल चढ़ाएँ। घी और अगरबत्ती से दीया जलाएँ।

पूजा के समय शिव चालीसा, रुद्राष्टकम या प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। इसके अलावा भगवान शिव के मंत्र "ॐ नमः शिवाय" या "महामृत्युंजय मंत्र" का 108 बार जाप करें। चूँकि यह बुध प्रदोष है, इसलिए हरी मूंग दाल, हरे वस्त्र और हरे फल अर्पित करके बुध देवता की पूजा करना भी शुभ होता है। अंत में भगवान शिव की आरती करें और फल, मिठाई या पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, चीनी) से बना प्रसाद बाँटें। बुध प्रदोष के दिन ज़रूरतमंदों को हरी वस्तुएँ, भोजन या वस्त्र दान करने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।

सावन प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ये चीज़ें करें अर्पित

बेल पत्र: तीन पत्तों वाला बिल्व पत्र चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
दूध और शहद: स्वास्थ्य और धन प्राप्ति के लिए अभिषेक किया जाता है।
धतूरा और भांग: ये शिव के लिए पवित्र हैं और भक्ति के प्रतीक के रूप में चढ़ाए जाते हैं।
सफेद फूल: पवित्रता का प्रतीक हैं और भगवान शिव को प्रिय हैं।
पंचामृत अभिषेक: यह दूध, घी, दही, शहद और चीनी का मिश्रण है जिसका उपयोग जलाभिषेक अनुष्ठान के दौरान किया जाता है।

सावन के अंतिम प्रदोष का महत्व

चूँकि यह सावन के दिव्य काल के समापन का प्रतीक है, इसलिए अंतिम प्रदोष भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक उत्तम अवसर माना जाता है। इस दिन पूजा करने से बाधाएँ दूर होती हैं, रोग दूर होते हैं और कर्मों की शुद्धि होती है। जो लोग पूरी श्रद्धा से इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें शिव का भरपूर आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके प्रयासों में सफलता मिलती है।

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