Sarva Pitru Amavasya 2025: पितृ विसर्जन 21 को, ज्योतिषाचार्य से जानें पितृ दोष शांत उपाय
Sarva Pitru Amavasya 2025: इस साल सर्वपितृ अमावस्या, जिसे महालया अमावस्या भी कहा जाता है, तिथि का श्राद्ध 21 सितंबर को होगा। इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी देहांत की तिथि ज्ञात नहीं होती है। यह पितृ पक्ष (Sarva Pitru Amavasya 2025) का अंतिम दिन होता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों के लिए आशीर्वाद और शांति की कामना हेतु श्रद्धापूर्वक तर्पण, पिंडदान और प्रार्थना करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2025) पर ये अनुष्ठान करने से पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति मिलती है और परिवार में समृद्धि, सद्भाव और सुरक्षा आती है। इस दिन से देवी पक्ष की शुरुआत भी होती है।
इस दिन पितरो की प्रसन्नता के लिए करें ये कार्य
लखनऊ स्थित महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय बताते हैं कि इस वर्ष पितृ विसर्जन सर्वपितृ श्राद्ध की अमावस्या 21 सितम्बर रविवार के दिन 'मध्याह्ने श्राद्धम् कारयेत' अर्थात मध्याह्न काल में ही श्राद्ध क्रिया करना चाहिए। इस वर्ष आश्विन कृष्ण अमावस्या तिथि पूरे दिन व रात 12:18 बजे तक रहेगी। जिस व्यक्ति की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो उन्हें अमावस्या तिथि पर ही श्राद्ध करना चाहिए।
पितृ दोष शान्ति हेतु करें निम्न उपाय
पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार, इस दिन पितृ दोष शान्ति हेतु त्रिपिण्डी श्राद्ध करना चाहिए। गीता का पाठ ,रूद्राष्ट्राध्यायी के पुरुष सूक्त, रुद्र सूक्त, ब्रह्म सूक्त आदि का पाठ भी करना चाहिए। इसके अलावा पीपल के वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु का पूजन कर गाय का दूध चढ़ावें। पितृ श्राप से मुक्ति हेतु उस दिन पीपल का एक पौधा भी अवश्य लगाना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय
मृत्यु के तीन वर्षों तक श्राद्ध ना करने पर बन जाते हैं प्रेत
ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय बताते है कि श्राद्ध चिन्तामणि के अनुसार, किसी मृत आत्मा का तीन वर्षो तक श्राद्ध कर्म नहीं करने पर जीवात्मा का प्रवेश प्रेत योनि में हो जाता है। जो तमोगुणी, रजोगुणी एवं सतोगुणी होती है। पृथ्वी पर रहने वाली आत्माएं तमोगुणी होती हैं। अत: इनकी मुक्ति अवश्य करनी चाहिए।
पितृ विसर्जन के दिन पितृ लोक से आये हुयें पितरो की विदाई होती है। उस दिन तीन या छः ब्राह्मणों को मध्याहन के समय अपने सामर्थ्य के अनुसार भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र, दक्षिणा आदि देकर विदा करें। इस दिन शाम को घी का दीपक जलाकर पितृ लोक गमन मार्ग को आलोकित करने की परिकल्पना करें। जिससे पितृ संतुष्ट होकर अपने वंश के उत्थान की कामना करते हुये स्वलोक गमन करेगें।
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