Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी आज, जानें क्यों करना चाहिए आज चंद्र दर्शन
Sankashti Chaturthi 2025: सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी का बहुत महत्व है क्योंकि यह विघ्नहर्ता, बुद्धि और सफलता के देवता भगवान गणेश को समर्पित है। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ता है और कष्टों के निवारण तथा मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धापूर्वक (Sankashti Chaturthi 2025) किया जाता है।
संकष्टी शब्द का अर्थ ही है कठिनाइयों से मुक्ति। इस दिन, भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं और पूरे दिन व्रत रखते हैं, और शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत तोड़ते हैं। आज, जब हम संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2025) मना रहे हैं, तो आज के दिन चंद्र दर्शन का महत्व जानना और भी आवश्यक हो जाता है।
संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, अर्थात सभी विघ्नों को दूर करने वाला। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
- मानसिक और भावनात्मक रुकावटों को दूर करना
- नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को कम करना
- करियर, पढ़ाई और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करना
- परिवार में शांति और समृद्धि लाना
संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान चंद्र दर्शन है। भक्तगण चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद ही अपना व्रत समाप्त करते हैं। चंद्रमा का संबंध मानसिक शांति, भावनात्मक स्थिरता, मन की शांति से है।
ऐसा माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन मानसिक तनाव, चिंता और नकारात्मकता को दूर करने में मदद करता है। जिस प्रकार चांदनी रात को शीतल और शांत करती है, उसी प्रकार इसकी दिव्य ऊर्जा भक्त के हृदय को शांत और मन को शुद्ध करती है।
पौराणिक कारण: एक बार, भगवान गणेश का चंद्रमा ने उपहास किया और क्रोधित होकर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि जो कोई भी गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को देखेगा, उसे झूठे आरोपों का सामना करना पड़ेगा। बाद में, इस प्रभाव को कम करने के लिए, भगवान शिव ने भक्तों को विशेष रूप से संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन करने की सलाह दी, क्योंकि यह नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है और सौभाग्य लाता है। इसलिए, आज चंद्रमा के दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा कैसे करें
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
- दीप जलाएँ और भगवान गणेश को ताजे फूल अर्पित करें।
- गणेश चालीसा, संकष्टी व्रत कथा या "ॐ गं गणपतये नमः" का पाठ करें।
- पूरे दिन फल या सादा सात्विक भोजन ग्रहण करके उपवास रखें।
- चंद्रोदय की प्रतीक्षा करें।
चंद्र दर्शन के बाद, अर्पण करें: जल, चावल, चंदन और पुष्प। भगवान गणेश को प्रसाद अर्पित करने के बाद ही अपना व्रत तोड़ें।
संकष्टी चतुर्थी व्रत के लाभ
संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से आर्थिक और व्यक्तिगत बाधाएँ दूर होती हैं इसके अलावा छात्रों की एकाग्रता और स्मरण शक्ति में सुधार होता है। इस व्रत को करने से परिवार में शांति और एकता बढ़ती है और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। भय, चिंता और भावनात्मक तनाव पर विजय पाने में मदद मिलती है। यह व्रत भक्ति और मानसिक अनुशासन को मज़बूत करता है। यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली है जो जीवन में अटके हुए महसूस करते हैं या बार-बार चुनौतियों का सामना करते हैं।
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