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Sakat Chauth 2024: सकट चौथ पर पढ़े गणेश भगवान की कथा, जानें शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Sakat Chauth 2024:  हिंदू धर्म में सकट चौथ (Sakat Chauth 2024) का व्रत शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चुतर्थी का व्रत रखा जाता...
03:26 PM Jan 27, 2024 IST | Juhi Jha
राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Sakat Chauth 2024:  हिंदू धर्म में सकट चौथ (Sakat Chauth 2024) का व्रत शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चुतर्थी का व्रत रखा जाता...

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Sakat Chauth 2024:  हिंदू धर्म में सकट चौथ (Sakat Chauth 2024) का व्रत शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चुतर्थी का व्रत रखा जाता है। सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट और माघ चतुर्थी के नाम भी जाना जाता है। इस साल सकट चतुर्थी का व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं अपने संतान के लिए निर्जला उपवास रखती है। शुभ मुहूर्त पर गणेश भगवान की पूजा और व्रत कथा सुनती है। रात के समय में चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारण करती हैं। सकट चौथ के दिन व्रत कथा का विशेष महत्व माना जाता है। तो आइये जानते हैं सकट चतुर्थी की व्रत कथा, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय के समय के बारे मेंः-

सकट चौथ शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के चतुर्थी तिथि (Sakat Chauth 2024) का प्रांरभ 29 जनवरी प्रातः 06 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। इस बार सकट चौथ का व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा। वहीं चंद्रोदय रात में 09 बजकर 10 मिनट पर होगा।

 

सकट चौथ की पहली व्रत कथा (Sakat Chauth Katha)

सकट चौथ की पहली व्रत कथा (Sakat Chauth 2024) यह है कि एक बार मां पार्वती ने अपने मैल से एक बालक बनाया जिसे उन्होंने विनायक नाम दिया। एक दिन मां पार्वती ने बालक विनायक को द्वार पर खड़ा कर दिया और माता पार्वती स्नान करने के लिए चली गई। थोड़ी देर बाद वहां पर भगवान शिव आए। लेकिन बालक विनायक ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। काफी आग्रह करने के बाद भी जब विनायक ने भगवान शिव की बात नहीं मानी। तब इस बात से भगवान शिव को बेहद आहत और अपमानित महसूस हुआ। क्रोध में आकर शिव ने विनायक पर त्रिशूल से वार कर दिया। जिससे उनकी गर्दन धड़ से अलग हो गई। स्नानघर के बाहर आवाज सुन जब मां पार्वती आई तो उन्होंने देखा कि विनायक की गर्दन धड़ से अलग पड़ी है।

यह देख वह रोने लगी और उन्होंने भगवान शिव से विनायक के प्राण फिर से वापस करने को कहा। इस पर भगवान शिव(Lord Shiv) ने हाथी का मुख विनायक के सिर पर लगा दिया और इस तरह विनायक को दूसरा जीवन मिला। गज मस्तक होने के कारण मा पार्वती के पुत्र श्री गणेश कहलाए। जिस दिन यह घटना हुई उस दिन माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। इसलिए इस दिन गणेश भगवान के साथ साथ मां पार्वती की पूजा की जाती है और इस दिन महिलाएं अपनी संतान की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए उपवास रखती हैं।

 

दूसरी सकट चौथ व्रत कथा (Sakat Chauth Katha)

पौराणि ग्रंथों में सकट चौथ (Sakat Chauth 2024) को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। इन्ही में से एक कथा है कि किसी नगर में एक कुम्हार रहता था। काफी कोशिश करने के बाद उसके बर्तन कच्चे ही रह जाते थे। इससे परेशान होेकर उसने अपनी यह परेशानी एक पुजारी को बताया। उस पुजारी ने कुम्हार से कहा कि किसी छोटे बच्चे की बलि देने से ही तुम्हारी यह समस्या का अंत हो सकता है। इसके बाद कुम्हार ने एक बच्चे को पकड़कर आवां में डाल दिया । उस दिन सकट चौथ का दिन था। उस दिन बच्चे की मां ने उस बच्चे को काफी ढूंढने की कोशिश की लेकिन बच्चा नहीं मिला।

तब उसकी मां ने भगवान गणेश से प्रार्थना की और अपने बच्चे की सलामती के लिए दुआ मांगी। अगले दिन जब कुम्हार ने देखा तो उसके आवां में सभी बर्तन पक गए थे और बच्चा भी सुरक्षित था। इस घटना से कुम्हार डर गया और उसने सारी घटना राजा को सुनाई। इसके बाद राजा ने बच्चे और मां दोनों को दरबार में बुलाया। तब मां ने सकट चौथ की महिमा के बारे में वर्णन किया। जिससे उसके बच्चे को कोई नुकसान नहीं हुआ। उसी दिन से सभी महिलाएं अपने परिवार के सौभाग्य और संतान की लंबी उम्र के लिए सकट चौथ का व्रत करने लगी।

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