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Pradosh Vrat Katha 2024: 7 फरवरी को रखा जाएगा बुध प्रदोष व्रत, जानें व्रत कथा और पूजा नियम

राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Pradosh Vrat Katha 2024: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat Katha 2024)काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत आते है जिसमें हर माह दो प्रदोष व्रत रखे जाते है। हिंदू पंचांग के...
05:19 PM Feb 06, 2024 IST | Juhi Jha
राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Pradosh Vrat Katha 2024: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat Katha 2024)काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत आते है जिसमें हर माह दो प्रदोष व्रत रखे जाते है। हिंदू पंचांग के...
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राजस्थान (डिजिटल डेस्क)। Pradosh Vrat Katha 2024: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat Katha 2024)काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत आते है जिसमें हर माह दो प्रदोष व्रत रखे जाते है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी​ तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत का भी अलग अलग महत्व हेाता है। कल यानी 7 फरवरी को इस माह का पहला प्रदोष व्रत पड़ रहा है। बुधवार के दिन प्रदोष व्रत होने की वजह से इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

 

 

प्रदोष व्रत को करने से साधक के घर में सुख समृद्धि और वैभव में वृद्धि होती है और इस विशेष दिन भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना की जाती है। ​भगवान शिव की पवित्र मन से पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और कुंडली में बुध व चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है। आज हम आपको बुध प्रदोष व्रत कथा और इस व्रत से जुड़े कुछ नियमों के बारे में बताने जा रहे है। अगर आप भी प्रदोष व्रत रखने जा रहे है तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी लाभदायक होने वाला है। तो आइए जानते है प्रदोष व्रत कथा और इस व्रत से जुड़े नियम

प्रदोष व्रत कथा

 

 

पौराणिक ग्रंथों में प्रदोषर व्रत से जुड़े कई कथाओं का वर्णन किया गया है लेकिन आज हम आपके लिए उन्हीं में से एक व्रत कथा लेकर आए है। कहा जाता है कि एक पुरूष का विवाह हुआ और विवाह होने के दो दिन बात ही उसकी पत्नी अपने मायके चली गई। कुछ दिनों के बाद व्यक्ति अपनी पत्नी को लेने अपने ससुराल पहुंचा। उस दिन बुधवार का दिन था और जब व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ अपने घर को लौटने लगा तो उसके ससुराल वालों ने काफी रोकने की कोशिश की। उनका मत था कि बुधवार के दिन लड़की की विदाई करना शुभ नहीं माना जाता। लेकिन व्यक्ति ने किसी की बात नहीं मानी और अपनी पत्नी को साथ लेकर चल पड़ा।

 

 

नगर के बाहर पहुंचने पर उसकी पत्नी को बहुत तेज प्यास लगने लगी और व्यक्ति ने अपनी पत्नी को एक पेड़ के नीचे बैठाया और खुद आसपास की जगहों पर पानी की तलाश में जुट गया। जब व्यक्ति वापिस लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी के साथ हंस—हंसकर बातें कर रही है और उसके लौटे से पानी भी पी रही है। यह देख व्यक्ति आग बबूला हो गया। जब वह आदमी उस जगह के थोड़ा निकट पहुंचा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। क्योंकि उस आदमी की शक्ल उसी की तरह थी। ऐसे में दोनों आदमी एक दूसरे से झगड़ने लगे । जिसे देख आस पास के लोग एकत्रित हो गए। कुछ ही देर में वहां पर सिपाही भी आ गए।

 

 

हमशक्ल आ​दमियों को देख उसकी पत्नी भी सोच में पड़ गई। जब लोगों ने उस स्त्री से पूछा कि उसका पति कौन है तो उसने दोनों में अपने पति को पहचान ना पाने में असमर्थता दिखाई। तब उसका पति भगवान शिव से प्रार्थना करने लगा कि मैंने सास ससुर की बात ना मानकर बहुत बड़ी गलती कर दी है और बुधवार के दिन अपनी पत्न को लेकर आ गया। आगे से मैं कभी ऐसी भूल नहीं करूंगा। जैसे ही व्यक्ति की प्रार्थना खत्म हुई उसी समय दूसरा व्यक्ति गायब हो गया। इसके बाद दोनों पति—पत्नि कुशलता के साथ अपने घर को लौट आए। उस दिन से ही दोनों पति पत्नी बुध त्रयोदशी प्रदोष व्रत रखने लगे और इससे जुड़े नियमों का पालन कर अपना जीवन खुशहाली के साथ व्यतीत करने लगे।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

 

 

प्रदोष के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करे और साफ वस्त्र धारण करे। इसके बाद भगवान शिव का स्मरण कर भगवान के समक्ष व्रत करने का संकल्प करे। पूरे दिन भगवान शिव की आराधना, मंत्रों का जाप और स्मरण करें और शाम के समय पूजा के शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की विधि विधान के साथ पूजा करे। सर्वप्रथम पूजा के लिए दही, दूध, घी, शहद और गंगाजल का एक मिश्रण तैयार करे और इस मिश्रण से शिवलिंग का जलाभिषेक करे। इसके पश्चात भगवान शिव को धतुरा, भांग, सफेद फूल और बेलपत्र आदि चीजें अर्पित करे । इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करे और प्रसाद का भोग लगाए। पूजा के अंत में आरती करे। आरती के बाद घर के सदस्यों को भोग का प्रसाद दे।

बुध प्रदोष व्रत पूजा नियम

प्रदोष व्रत ​कलयुग के समय में मंगलकारी माना जाता है। प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय को ही प्रदोष काल कहा जाता है। माना जाता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते है।प्रदोष व्रत को करने से व्यक्ति के सभी दोष मिट जाते है। लेकिन इस व्रत को करने के ​कुछ नियम होते है। प्रदोष व्रत विधि के अुनसार जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है उसे इस दिन किसी भी प्रकार अन्न व जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।

 

नियमों के अनुसार प्रदोष का व्रत निराहार रखा जाता है। अगर सम्भव ना हो तो इस दिन आप अपने क्षमता के अनुसार कुछ भी ना खाए और पूजा के बाद फलाहार ग्रहण करे। लेकिन इस बात का विशेष ध्यान दे अन्न ग्रहण ना करे। इस दिन घर के सदस्यों को भी तामसिक भोजन यानी लहसुन, प्याज, मास मंदिरा और अंडे का सेवन ना करने दे। इसके अलावा तन मन से शुद्ध होकर सुबह से भगवान शिव की आराधना करे और उनके मंत्रों का जाप करें।

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