Pitru Paksha 2025: कल से शुरू होगा पितृ पक्ष, 15 दिन इन बातों का जरूर रखें ध्यान
Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के सबसे महत्वपूर्ण कालखंडों में से एक है। इस वर्ष पितृ पक्ष कल यानी रविवार 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर को (Pitru Paksha 2025) समाप्त होगा। ये 15 दिन पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने, श्राद्ध कर्म करने और ब्राह्मणों, कौओं, गायों और कुत्तों को भोजन कराने के लिए पवित्र माने जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस दौरान पितरों का स्मरण और सम्मान करने से समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हालाँकि, पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) के कुछ नियम और प्रतिबंध भी होते हैं जिनका इन 15 दिनों सावधानीपूर्वक पालन किया जाना चाहिए।
पितृ पक्ष का महत्व
पितृ शब्द का अर्थ पूर्वज होता है, और पक्ष का अर्थ चंद्र पक्ष होता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दौरान पूर्वजों की आत्माएँ अपने वंशजों द्वारा अर्पित तर्पण ग्रहण करने के लिए पृथ्वी पर आती हैं। श्राद्ध कर्म करने से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है और परिवार पितृ दोष से मुक्त होता है। यह काल कर्म चक्र और अपने वंश के प्रति कृतज्ञता के महत्व का भी स्मरण कराता है।
महाभारत में उल्लेख है कि कर्ण की मृत्यु के बाद, उन्हें स्वर्ग में स्वर्ण और रत्न भेंट किए गए, लेकिन भोजन नहीं दिया गया। जब उन्होंने भगवान इंद्र से इसका कारण पूछा, तो पता चला कि उन्होंने अपने पूर्वजों को कभी भोजन दान नहीं किया था। इस दोष को दूर करने के लिए, कर्ण को श्राद्ध कर्म करने के लिए 15 दिनों के लिए पृथ्वी पर लौटने की अनुमति दी गई। इस अवधि को बाद में पितृ पक्ष के रूप में जाना जाने लगा।
पितृ पक्ष के अनुष्ठान
तर्पण और पिंडदान - तिल और जौ मिश्रित जल, साथ ही चावल के पिंड पितरों को अर्पित करें।
ब्राह्मण भोज - ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वे पितरों तक भोजन पहुँचाने का माध्यम बनते हैं।
पशुओं को भोजन कराना - गायों, कौओं और कुत्तों को भोजन कराने से पितरों की तृप्ति होती है।
दान - ज़रूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और आवश्यक वस्तुएँ दान करने से शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
पितृ पक्ष 2025 के दौरान क्या न करें
उत्सवों से बचें- पितृ पक्ष स्मरण का समय है, उत्सवों का नहीं। इस दौरान विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण संस्कार या कोई भी नई शुरुआत करने से परहेज़ किया जाता है।
मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन न करें- मांस, मछली, अंडे और शराब का सेवन सख्त वर्जित है। सात्विक शाकाहारी भोजन करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह श्राद्ध कर्म के दौरान पवित्रता बनाए रखता है।
बाल और नाखून न काटें- ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान बाल और नाखून काटना अशुभ होता है और इन दिनों की पवित्रता का सम्मान करने के लिए इनसे बचना चाहिए।
नई वस्तुएँ न खरीदें- इन 15 दिनों के दौरान नए कपड़े, गहने या कीमती घरेलू सामान खरीदने से परहेज़ किया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे दुर्भाग्य आता है।
भोजन का अनादर न करें- श्राद्ध के लिए बनाए गए भोजन को बर्बाद करना या उसका अनादर करना अत्यंत अशुभ माना जाता है। भोजन श्रद्धा और सावधानी से अर्पित किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
पितृ पक्ष 2025, 7 सितंबर से 21 सितंबर तक, केवल अनुष्ठान करने का ही नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों को सम्मानपूर्वक याद करने और उनका सम्मान करने का भी समय है। इस अवधि में क्या करें और क्या न करें, इसका पालन करके, दिवंगत आत्माओं की शांति सुनिश्चित की जा सकती है और साथ ही परिवार में समृद्धि और खुशियाँ भी लाई जा सकती हैं। यह कृतज्ञता का अभ्यास करने, दान-पुण्य करने और आध्यात्मिक भक्ति के माध्यम से अपनी जड़ों से जुड़ने का समय है।
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