मई के महीने में किस दिन की जाएगी मासिक शिवरात्रि की पूजा, जानिए महूर्त और पूजा विधि
Masik Shivratri: मासिक शिवरात्रि 2025: हिंदू धर्म में मासिक और महाशिवरात्रि दोनों ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन, भगवान शिव के भक्त पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान भोलेनाथ की कृपा उन पर बनी रहती है। तो चलिए जानते हैं कि मई 2025 में मासिक शिवरात्रि कब पड़ रही है।
कब मनाई जाएगी मासिक शिवरात्रि
मई के महीने में मासिक शिवरात्रि 25 मई, रविवार को मनाई जाएगी। आपको बता दें, पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 25 मई की रात 11 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर 26 मई की सुबह 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। वहीं चतुर्दशी तिथि का आरंभ 25 मई को दोपहर 03 बजकर 51 मिनट पर होगा और यह 26 मई को रात 12 बजकर 11 मिनट तक रहेगी।
2025 में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 04 मिनट से 04 बजकर 45 मिनट तक।
प्रातः संध्या: सुबह 04 बजकर 24 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से 03 बजकर 31 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07 बजकर 09 मिनट से 07 बजकर 30 मिनट तक।
सायाह्न संध्या: शाम 07 बजकर 11 मिनट से 08 बजकर 12 मिनट तक।
अमृत काल: 26 मई को सुबह 04 बजकर 09 मिनट से 05 बजकर 34 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त: 25 मई की रात 11 बजकर 58 मिनट से 26 मई की सुबह 12 बजकर 39 मिनट तक।
पूजा साम्रगी (Masik Shivratri)
मासिक शिवरात्रि की पूजा आरंभ करने से पहले, आपको कुछ आवश्यक सामग्री एकत्रित करनी चाहिए। इनमें दूध, जल और गंगाजल के साथ-साथ रोली-मौली, दही, घी, बेलपत्र, धतूरा, विभिन्न प्रकार के फूल, फल और मिठाई शामिल हैं।
पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना मध्यरात्रि में की जाती है। इस विशेष दिन, शिव भक्तों को सूर्योदय से पहले उठकर, दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इस दिन पीपल और तुलसी के वृक्ष को जल अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।
इसके बाद, भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करें और मध्यरात्रि में भगवान की पूजा करें।
रात्रि के समय, भगवान भोलेनाथ की मूर्ति को दूध, जल और गंगाजल से स्नान कराएं। इस दौरान, भगवान शिव के महान मंत्र 'ऊं नमः शिवाय' का जाप करते हुए दूध, दही, घी, बेलपत्र, धतूरा और विभिन्न प्रकार के फूलों से उनका अभिषेक करें।
फिर, चंदन से भगवान शिव का तिलक करें और अंत में आरती गाकर पूजा संपन्न करें।
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