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मासिक कृष्ण जन्माष्टमी को जरूर चढ़ाएं यह प्रसाद, इसके बिना अधूरी है लड्डू गोपाल की पूजा

तमाम प्रसादों में एक प्रसाद पंजीरी का इस दिन बहुत महत्व होता है। माना जाता है कि पंजीरी के बिना लड्डू गोपाल की पूजा अधूरी रहती है।
08:30 AM May 19, 2025 IST | Preeti Mishra
तमाम प्रसादों में एक प्रसाद पंजीरी का इस दिन बहुत महत्व होता है। माना जाता है कि पंजीरी के बिना लड्डू गोपाल की पूजा अधूरी रहती है।

Masik Krishna Janmashtami: हर महीने कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मनाई जाने वाली मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान कृष्ण के मासिक रूप में दिव्य जन्म का उत्सव है। यह पवित्र दिन कृष्ण भक्तों द्वारा भक्ति, उपवास और विशेष प्रार्थनाओं के साथ मनाया जाता है। यह (Masik Krishna Janmashtami) उन लोगों के लिए बहुत आध्यात्मिक महत्व रखता है जो सुरक्षा, प्रेम और मुक्ति चाहते हैं।

इस दिन लोग कृष्ण के जन्म का माना जाने वाला समय आधी रात को पूजा करते हैं। लोग प्रसाद के रूप में मक्खन, दही, तुलसी के पत्ते और मिठाई चढ़ाते हैं। इस दिन (Masik Krishna Janmashtami) हरे कृष्ण मंत्र का जाप करना और भगवद गीता पढ़ना बहुत शुभ माना जाता है। तमाम प्रसादों में एक प्रसाद पंजीरी का इस दिन बहुत महत्व होता है। माना जाता है कि पंजीरी के बिना लड्डू गोपाल की पूजा अधूरी रहती है।

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर पंजीरी चढ़ाना परंपरा, पोषण और भक्ति का एक सुंदर मिश्रण है। यह कृष्ण के प्रारंभिक जीवन का सम्मान करता है, शुद्ध प्रेम का प्रतीक है, और एक पवित्र प्रसाद के रूप में कार्य करता है जो भक्तों को पोषण देते हुए देवता को प्रसन्न करता है।

पंजीरी है सादगी और भक्ति का प्रतीक

पंजीरी धनिया, घी, चीनी, सूखे मेवे और गोंद से बनाई जाती है - ये सभी सरल, सात्विक सामग्री हैं। भगवान कृष्ण का पालन-पोषण गोकुल में एक साधारण, देहाती परिवार में हुआ था और पंजीरी उस सादगी और पवित्रता को दर्शाती है। इसे शुद्ध मन से चढ़ाया जाता है, जो इस विचार का प्रतिनिधित्व करता है कि भक्ति वैभव से ज़्यादा मायने रखती है।

भगवान कृष्ण के बचपन से जुड़ी पारंपरिक कहानी

परंपराओं के अनुसार, यशोदा मां बचपन में कृष्ण को पंजीरी खिलाती थीं। ऐसा कहा जाता है कि यह शरीर को मज़बूत बनाती है और उसे ऊर्जावान बनाए रखती है। इसलिए, जन्माष्टमी पर पंजीरी चढ़ाना कृष्ण के दिव्य बचपन को फिर से जीने और उनके प्रति मातृ प्रेम और देखभाल को व्यक्त करने का एक तरीका है।

पोषण और उत्सव का महत्व

पंजीरी एक उच्च ऊर्जा वाला भोजन है, जो विशेष रूप से उपवास के दौरान उपयुक्त है। इसे अक्सर आधी रात की पूजा के बाद भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इससे न केवल अनुष्ठान पूरा होता है, बल्कि व्रत रखने वाले भक्तों को पोषण भी मिलता है, जिससे उन्हें ताकत हासिल करने में मदद मिलती है।

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