नरसिंह जयंती पर करें ये विशेष पूजा, मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद
Narasimha Jayanti 2025: नरसिंह जयंती, जिसे नरसिंह चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान विष्णु के चौथे अवतार - भगवान नरसिंह, आधे मनुष्य, आधे सिंह रूप की जयंती मनाता है। नृसिंह जयन्ती (Narasimha Jayanti 2025) के दिन भगवान विष्णु राक्षस हिरण्यकशिपु का वध करने हेतु नृसिंह अर्ध सिंह (शेर) तथा अर्ध नर (मनुष्य) के रूप में प्रकट हुये थे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष नरसिंह जयंती रविवार, 11 मई को पड़ रही है, जो आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली दिन है जिसे उपवास, प्रार्थना और अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है। नरसिंह जयन्ती (Narasimha Jayanti 2025) के दिन शाम को पूजा का समय दोपहर 04:29 से रात 07:04 तक रहेगा। वहीं जो लोग इस दिन व्रत रखेंगे उनके लिए पारण का समय 12 मई को 06:05 बजे के बाद होगा।
नरसिंह जयंती के दिन करें ये विशेष पूजा
नरसिंह जयंती पर, भगवान विष्णु को उनके भयंकर नरसिंह अवतार में प्रसन्न करने के लिए एक विशेष नरसिंह होम किया जाता है। भक्त नरसिंह मंत्र का जाप करते हैं और पवित्र अग्नि में घी, चंदन, तुलसी के पत्ते और नारियल चढ़ाते हैं। दूध, शहद और जल से देवता का अभिषेक करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। उपवास करना, विष्णु सहस्रनाम और नरसिंह स्तोत्र का पाठ करना और भगवान विष्णु की सुरक्षा का ध्यान करना भय, नकारात्मकता और बाधाओं को दूर करने में मदद करता है। यह पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और भक्त को शांति, साहस और दिव्य आशीर्वाद प्रदान करती है।
नरसिंह जयंती का महत्व
नरसिंह जयंती भगवान नरसिंह के दिव्य स्वरूप का स्मरण कराती है, जो अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने और राक्षस राजा हिरण्यकश्यप का नाश करने के लिए एक खंभे से निकले थे। यह अवतार अहंकार, अत्याचार और बुराई पर भक्ति की विजय का प्रतीक है। भगवान का रूप - आंशिक रूप से मनुष्य, आंशिक रूप से सिंह - दर्शाता है कि दिव्य शक्ति मानव तर्क से परे है और धर्म की रक्षा के लिए अकल्पनीय तरीकों से प्रकट होती है।
नरसिंह जयंती मानने के आध्यात्मिक लाभ
माना जाता है कि नरसिंह जयंती मनाने से:
- नकारात्मक ऊर्जा और भय दूर होता है
- शत्रुओं और बुरे प्रभावों से सुरक्षा मिलती है
- ईमानदारी से की गई प्रार्थना से मनोकामनाएं पूरी होती हैं
- शांति, शक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान मिलता है
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